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सृजन समूह शामली, उत्तर प्रदेश

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रविवार, 25 दिसंबर 2022

अपनी बात

       
                    देश में आजकल जनसँख्या नियन्त्रण की बात चल रही है | लेकिन समस्या यह है कि खुले मन से इस पर   कोई बात नहीं करना चाहता | इस विषय पर बात करने से सब कतराते हैं | सब अपने-अपने कारणों से बंधे हैं या फिर कहिये कि सबने अपने-अपने कारण ढूँढ लिए हैं | पुराने रास्ते और सड़कें वाहनों के बोझ से दम तोड़ रही हैं और जो नयी चौड़ी सड़कें या राजमार्ग बन रहें हैं वें देश की उपजाऊ कृषि भूमि और जंगलों को खाते जा रहे हैं | छोटे-छोटे नगर भी बेहाल हो रहें हैं | जैसे-जैसे इनकी जनसँख्या विकराल होती जा रही है वैसे-वैसे इन नगरों के स्वरुप विशाल होते जा रहें हैं | चलने-फिरने के सड़कें और रहने के लिए मकानों की माँग दिन पर दिन बढती जा रही है | लेकिन देश के पास एक निश्चित क्षेत्रफल की भूमि है | देश ही क्या पूरी दुनिया का क्षेत्रफल आज भी वही है जो हजारों साल पहले था क्योंकि पृथ्वी तो अपने आकार को बढ़ा नहीं रही |

        समझ नहीं आता कि चौड़ी-चौड़ी सडकों का जाल और कुकुरमुत्तों की तरह उगती जा रही अट्टालिकाएँ कैसे  विकास का मानक हो सकती हैं ? अगर विकास का मानक मान भी लिया जाएँ तो ये किसी भी प्रकार से हमारी खुशहाली का संकेत तो बिल्कुल भी नहीं | देश की आबादी इतनी तेज़ी से बढ़ रही है कि आज जिस सड़क को टू-लेन से फोर-लेन बनाया गया सालभर बाद ही उसे सिक्स-लेन बनाने की आवश्यकता महसूस होने लगती है | आवास तो चाहे जितने बना लो उतने ही कम पड़ने लगते हैं |

        देश खुशहाल तभी हो सकता है जब उस पर मनुष्यों का भार नियन्त्रित होगा, सड़कों पर वाहनों की संख्या घटेगी और नये आवासों की माँग में कमी आयेगी | मनुष्य जीवन तभी खुशहाल कहा जा सकता जब उसके पास अपने परिवार, रिश्तेदारों और मित्रों के लिए समय होगा | मशीनों की तरह भाग-दौड़ करके अपने अस्तित्व को बचाने की ज़द्द्दोज़हद से मुक्त होकर वह पक्षियों के गीतों और निर्मल झरनों से बहते पानी के संगीत का आनन्द लेने में सक्षम हो जायेगा | यह सब जनसंख्या  को नियन्त्रित करके ही सम्भव है | तो चलिए सरकार से इस दिशा  उचित कदम उठाने के लिए अनुरोध किया जाये |

        क्रिसमस और आने वाले नववर्ष की शुभकामनायें |         

                                                                       जय कुमार

                                                                        सम्पादक           

 त्रयोदशी मार्गशीर्ष विक्रम सम्वत्त्-२०७९

 


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