शिक्षक और शिष्य

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शिक्षा से संघर्ष तक की गाथा हमे बतलाते हैं

एक शिक्षक नित नवीन दिशा हमे दिखाते हैं

 

दिशा निर्देश के पथ पर बढ़ता जो जाता है

मन में उदित सपने को बुनता वह जाता है

 

गुरु और शिष्य का संबंध बड़ा अनोखा है

एक दूजे के प्रति भावनाओं को हमने देखा है

 

बौद्धिक, सामाजिक, नैतिकता शिक्षा के अंग हैं

शिष्य के सर्वांगीण विकास के आप स्तंभ हैं

 

मिलजुल हम सबको दिवस यह मनाना है

राधाकृष्णन स्म्रति को हमे नहीं भुलाना है

 

 

प्रियंक खरे "सोज"

माधवगढ़ सतना

मध्यप्रदेश

 

 

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