शिक्षा-मन्दिर व शिक्षक

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एक आम आदमी और

शिक्षक की दिनचर्या में

फर्क होता है रात-दिन का

वो रोज सुबह तैयार होकर

जाते शिक्षा-मन्दिर

पूजा, अर्चना करने

अपने भगवान की |

 

जो होते हैं 

बाल गोपालों की शक्ल में

और उनका समय कब

निकल जाता

मुट्ठी की रेत की तरह

पता ही नहीं चलता

घंटी के स्वर

 

उनकी आराधना के

हिस्से होते

देश और समाज में

जिनके बेहतर किस्से होते

दुनिया में 

दिन का आरंभ

इससे बहतर हो नहीं सकता

शिक्षक पद से बड़ा पद

दूसरा कोई हो नहीं सकता ।

 

 

                   - व्यग्र पाण्डेय्

कर्मचारी कालोनी, गंगापुर सिटी,

स.मा.(राजस्थान) 322201

 

 

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