विषय: विज्ञान
कक्षा: 6
आवश्यक सामग्री: एक सफेद चॉक, एक चीनी मिट्टी, स्टील या प्लास्टिक की प्लेट, पानी, एक माचिस की तीली और एक पैन की स्याही।
निर्माण की विधि: इस विधि में अलग से किसी निर्माण की आवश्यकता नही है, बस कुछ व्यवस्था अवश्य करनी है। सबसे पहले एक समतल स्थान पर चीनी मिट्टी की प्लेट में लगभग एक सेंटीमीटर की गहराई तक पानी भरकर रख लेंगे, और इसे स्थिर होने देंगे। दूसरी और हमें जिस स्याही का प्रयोग करना है उसे माचिस की तीली की सहायता से चॉक की एक ओर आधार से एक सेंटीमीटर से ऊपर बिन्दु के रूप में या आधार के समान्तर एक परिधि के रूप में एक के ऊपर एक तीन-चार बार लगा देंगे । यहां ध्यान रखना है कि बिन्दु या परिधि की रेखा की मोटाई कम से कम हो ।
प्रयोग की विधि: अब सावधानी पूर्वक चॉक को जिस ओर स्याही लगाई है वह सिरा नीचे की ओर रखते हुऐ पानी से एक सेंटीमीटर तक भरी प्लेट में खड़ा कर देंगे, और इसे पानी सोखने देंगे। हम देखते है कि जैसे -जैसे चॉक पानी सोख रही है और पानी ऊपर चढ़ रहा है, वैसे – वैसे स्याही के धब्बे या रेखा से भी रंग चॉक के ऊपर की ओर चढ़ने शुरू हो जाते है, और जब तक पानी चॉक में ऊपर चढ़ता है, यह प्रक्रिया चलती रहती है । इस प्रकार अंत में हमें चॉक के ऊपर जो हमने स्याही की बिन्दु या रेखा बनाई थी उसके ऊपर कुछ-कुछ दूरी पर ओर बिन्दु या रेखाएँ प्राप्त होती है जिनकी सख्ंया स्याही के रंग ऊपर ही निर्भर करती है, ओर हम जान सकते है कि किसी विशेष रंग की स्याही कितने रंगो से मिलकर बनी होगी। चॉक के ऊपर प्राप्त अलग – अलग रंगों से प्राप्त यह समूह ही वर्ण लेखन है ।
सावधानियां: 1. सफेद चॉक का ही प्रयोग करना चहिये रंग बिरंगी चॉक के रंग परिणाम में त्रुटि उत्पन्न कर सकते है 2. चॉक के ऊपरी सिरे तक पानी पंहुचने से पहले ही चॉक को पानी से बाहर निकाल लेना चाहिए 3. प्रयोग के समय पानी में कोई हलचल नही होनी चाहिए 4. चॉक पर जो स्याही का धब्बा या रेखा लगाते है वह प्लेट के पानी के अंदर डुबना नहीं चाहिए। 5. यदि स्याही पानी में घुलनशील हो पानी का प्रयोग तभी करते है अन्यथा जिस माध्यम में स्याही घुलनशील हो (जैसे स्पिरिट) तो वह प्रयोग करेंगे, इस स्थिति में हमें यह प्रयोग एक ढक्कन वाली बोतल या परखनली के अन्दर करना होगा जिससे स्पिरिट वाष्पीकृत न हो ।
विशेष: यह विधि “पदार्थों के पृथक्करण” की विधि के रूप में कक्षा 6 की विज्ञान की पुस्तक में दी गयी है, जहाँ स्याही के रंगों का पृथक्करण एक प्रारम्भिक प्रयोग है, परंतु वैज्ञानिक अनुसंधानो में इसी विधि के परिष्कृत रूप को पर्णहरिम के अवयवो, अमिनो अम्लो व न्यूक्लिक अम्लो आदि जैव पदार्थों के पृथक्करण में प्रयोग किया जाता है । इस स्तर पर विद्यार्थियों के समक्ष इस प्रकार के प्रयोग से उनका वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित होता है ।
नवीन कुमार शर्मा (स.अ.)
उच्च प्राथमिक विद्यालय (1-8),
टपराना (ऊन), जनपद- शामली