नन्हें मुन्नों, सुनो कहानी

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सुनो, नन्हे मुन्नों कथा एक पुरानी  ज्ञान की,
कई अरब साल पहले,न बात यह मन की।
न हम तुम थे,न हमारे मित्र,देव,दानव ही थे,
देव बुद्धिमान,गुणी,ज्ञानी दानव मतलबी थे।

दुर्गुणी, मूर्ख थे,बुराई उनमें छुप कर बढ़ती,
प्रेम से,ज्ञान से  देवों का मान था,जीत होती।
हम,तुम नहीं चांद,सूरज,फूल संग ईश्वर रहें,
देव  दानव  लड़ें,ईश देते मेल  विचार  उन्हें।

ईश रहे शिक्षक, देव जीतें  बुद्धि,गुण से रण,
असुर हारे, देव अपने गुणों  में  हुए  मदांध।
भगवन चौंकें,अब अभिमान में सुर का अंत ?
अहं हर बुराई से बुरा,ख़त्म करे हर गुण तुरंत।
 
धरें यक्ष रूप  भगवन,सिखाने देव को नव पाठ ,
सुरों ने भेजा  अग्नि,वायु,इंद्र को, हराने यक्ष को।
ईश यक्ष रूप से करते  सुरों के  बल का अस्त,
यक्ष हों अरूप,सुर ध्यान करें हिमपुत्री उमा को।

उमा खोलें रहस्य,जीत देती ईश का  ही बल-ज्ञान,
श्रम करो,सीखो नए गुण,जीत पर,न होअभिमान।

 मीरा भारती ,
पटना, बिहार 

 

 

 

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