मा अगर घडी़ है तो वक्त है पिता
हर मुश्किल से लड़ने का साहस है
मा अगर छांव है तो दरख्त है पिता
मां अगर ताज है तो तख्त है पिता
मां गर नर्म है तो थोड़ा सख्त है पिता
रहता है मस्तिष्क पर इक गुमां बनकर
मां अगर आवाज है तो शब्द है पिता
मां अगर शान है तो अभिमान है पिता
मां अगर परछाईं है तो जान है पिता
रहता है हर वक्त हर कदम साथ मेरे
मां अगर धरती है तो आसमान है पिता
मां अगर पानी है तो प्यास है पिता
मां अगर उम्मीद है तो आस है पिता
भगवान से भी बढ़कर है इनका साथ
मां अगर मंदिर है तो अरदास है पिता
सुखप्रीत सिंह "सुखी"
पुवायां शाहजहांपुर
उत्तर प्रदेश