तुम छुपे कहां?

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 लहू लेकर आजादी देने वाले,

तुम छुपे कहां? तुम छुपे कहां?

भारत माँ के हो सपूत मतवाले,

तुम छुपे कहां? तुम छुपे कहां?

 

तुम ने भारत में इसीलिए था जन्म लिया,

आजादी को लेने का दृढ़ संकल्प किया।

आजाद हिन्द की फौज बनाने वाले

तुम छुपे कहां? तुम छुपे कहां?

 

अंग्रेजों  से लड़ने की थी मन में ठानी,

संघर्ष किया तुमने जीवन भर हे सेनानी।

जन-जन में शक्ति- प्राण फूंकने वाले,

 तुम छुपे कहां? तुम छुपे कहां?

 

भारत में अब है ऊंच- नीच फिर आया,

हर दिशा में सांप्रदायिक भाव है छाया,

सबसे मिलकर  रहना सिखलाने वाले,

तुम छुपे कहां? तुम छुपे कहां?


डॉ
0 केवलकृष्ण पाठक

सम्पादक ,रवींद्र ज्योति मासिक,

343 /19, आनद जवास,

गीता कालोनी,जींद 126102

हरियाणा

 

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