अधिकार

सृजन
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        रामलाल जब भी श्याम लाल की दुकान के सामने से होकर गुजरता, वह श्यामलाल को नमस्कार जरूर करता ।

   ऐसा नहीं था कि श्यामलाल रामलाल से कोई पद ,पैसे,उम्र या रुतबे में  बड़ा हो।

   रामलाल भी श्यामलाल के बराबर का दुकानदार था ,लेकिन ऐसा करना रामलाल की आदत में शामिल था।

     यह क्रम काफी दिनों से चला रहा था ।

एक दिन रामलाल किसी उधेड़बुन में था ।वह श्यामलाल को  नमस्कार करना भूल गया। श्यामलाल को यह बड़ा नागवार गुजरा।

उसे लगा किसी ने उसकी भरे बाजार इज्जत लूट ली। जिस का वह हकदार है उसे नहीं मिला। वह रामलाल से नमस्कार लेना चाहता था। रामलाल ने  नहीं दी।

रामलाल से नमस्कार लेना वह अपना अधिकार समझ बैठा था। भिखारी को भीख नहीं मिली । अब उसने रामलाल से बोलना बंद कर दिया।

हनुमान मुक्त

 93, कांति नगर, मुख्य डाकघर के पास

गंगापुर सिटी, सवाई माधोपुर

राजस्थान

 

 

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