चिंटू का तोहफा

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  राजू,  मोनू , चिंटू ,और गौरव चचेरे भाई थे.विद्यालय में साथ साथ पढ़ते थे .इसलिए आपस में अच्छे मित्र भी थे. नए साल पर दादा जी ने सभी को सौ सौ रुपये दिये और कहा कि कोई अच्छा सा गिफ्ट खरीद लेना. सभी बच्चे खुशी-खुशी बाजार गये और सभी ने अपने अपने लिये कुछ न कुछ खरीद लिया. शाम होते ही दादाजी ने सभी बच्चों को पास बुलाया और अपना -अपना  गिफ्ट दिखाने के लिये कहा. राजू ने सफेद कार दिखाई और मोनू ने अपना लाल रंग का ऐरोप्लेन दादाजी के सामने रख दिया. गौरव का टेडी बियर भी बहुत अच्छा था. वहीं चिंटू साईड में खड़ा होकर सबके तोहफे देख रहा था. दादाजी ने चिंटू से उसके तोहफे के बारे में पूछा तो वह चुप रहा. बहुत पूछने पर उसने डरते डरते बताया कि -

          उसके स्कूल में उसका एक मित्र है उसके पापा का देहांत हो चुका है. उसकी माँ किसी तरह से उसकी पढ़ाई का खर्चा उठा पा रही है. उसके पास एक किताब नहीं थी जिसकी वजह से उसे रोज डांट पड़ती थी. आज मैंने आपके दिये हुए रुपयों से उसके लिए वह किताब खरीदी और न्यू ईयर के तोहफे के रूप में उसे दे दी. आपने मुझे बड़े प्यार से वह रुपये दिए थे उसके लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद. लेकिन मुझे वही करना ठीक लगा. आप गुस्सा तो नहीं हैं न?

         दादा जी ने चिंटू की पूरी बात सुनी और बहुत खुश हुए. उन्होंने कहा कि मैं तो तुम्हारी सोच जानकर हैरान हूँ. इतने छोटे से दिमाग में इतना गहरा विचार.

     क्या बात है चिंटू  आज तो तुमने ही मुझे न्यू ईयर का गिफ्ट दे दिया. तुम्हारा गिफ्ट सबसे अलग और अनोखा रहा. इस नेक सोच को आगे भी बरकरार रखना बेटा.

 

ज़मीला खातून

झांसी,  उत्तर प्रदेश

 

 

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