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सृजन समूह शामली, उत्तर प्रदेश

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बुधवार, 15 दिसंबर 2021

मज़ाक

          बहू ,जल्दी जल्दी नाश्ता बना कर घर की सफाई कर  दो, नौ बजने वाले हैं | साढ़े दस बजे तक रोहन की ट्रेन आ जाएगी । उसके आने से पहले खाना तैयार करके कुछ ढंग के कपड़े पहन के तुम भी तैयार हो जाना। जी  माँजी, कहते हुए रोमा किचन की तरफ भागी। उसने तो मन ही मन न जाने कितने दिनों पहले से ही नाश्ते और खाने का मेनू तैयार रखा था । दो दिन पहले से ही रोहन की पसंद की सलवार कमीज भी निकाली थी। यह वही ड्रेस है जिसे रोहन ने बड़े शौक से यह कह कर उसे दी थी कि यह ड्रेस सिर्फ और सिर्फ तुम्हारे लिए ही बनी है। यह ड्रेस सिर्फ एक बार रोमा ने पहनी थी । वो तो अब उस घड़ी का इंतजार कर रही थी जब रोहन उसे इस ड्रेस में देख कर उसकी तारीफ करेगा । आलू उबालने के लिए रख दिये। हां यह आलू पराठे की तारीफ भी तो उसे सुननी है । रोहन हमेशा कहता तुम्हारे इन आलू पराठे का स्वाद दुनिया के बड़े से बड़े कुक के हाथ में न है क्योंकि तुम इनके  तह में अपना प्यार छुपा कर रख देती हो । इन्हीं बातों में खोई रोमा का ध्यान कुकर की सीटी की आवाज से टूटी। उसने घड़ी देखी अरे दस बज गए बस आधे घंटे। जल्दी-जल्दी काम करने लगी तभी फोन की घंटी। बजी सासू  माँ ने कहा _"रोमा जल्दी फोन उठा ले यह रोहन का ही होगा कितना लापरवाह है मैंने उससे कहा था कि वहां से निकलते समय फोन पर सूचना देना"।

"तुम्हें उसने फोन किया है क्या"?

 नहीं , माँ जी बस इतना कहा था कि मेरी ट्रेन साढ़े दस बजे वहां पहुंच जाएगी । इतना कह कर रोमा ने फोन उठाया। फोन किसी अजनबी का था।

"आप रोहन के घर से बोल रही हैं"?

हां मैं उनकी पत्नी बोल रही हूं ,क्या बात है? मैं रोहन का दोस्त रमेश बोल रहा हूं । दरअसल रोहन की सड़क हादसे में मौत हो गई है । उनके पास से आपका नंबर मिला है। आप अभी सिटी हॉस्पिटल जल्दी आ जाइए। अचानक ऐसी खबर सुनकर रोमा के हाथ से रिसीवर गिर पड़ा और रोमा  वहीं बैठ गई। सासू  माँ ने पूछा तो रोमा ने रोते हुए सारी बात बताई और बदहवास सासू  माँ का हाथ पकड़कर दरवाजे की तरफ भागी। हॉस्पिटल पहुंचते ही बाहर ही रमेश मिल गया। उसने बताया कि उसने ही रोहन के मौत की खबर दी थी। उनको साथ लेकर वह हॉस्पिटल में अंदर गया ।एक कमरे की तरफ इशारा करके बताया कि रोहन उसी कमरे में है । रोमा रोते हुए अपनी सास का हाथ पकड़े उस कमरे की तरफ गई। अंदर जाकर  देखा कि रोहन बिस्तर पर बैठा है ।उसके एक पैर में चोट लगी है ।उसे देख उसकी जान में जान आई। रोहन से लिपट कर रोने लगी।  माँ ने रोहन के हाथ को अपने हाथ में लेकर चूमा। तभी रोमा का ध्यान रमेश की तरफ गया। उसने पलट कर देखा पर वहां रमेश न था।उसे तो रमेश पर बहुत गुस्सा आ रहा था। उसने रोहन से पूछा_ "तुम इस हॉस्पिटल में और वह तुम्हारा दोस्त"?

हां ,हां मैं सारी बात बताता हूं पहले तुम यह पानी पी लो । रोमा ने पानी पिया। सासू  माँ को ही सहारादेकर बिठाया । तब रोहन ने बताया कि मैं जब ट्रेन से उतर कर बस में सवार होकर घर आ रहा था तो रास्ते में बस का एक्सीडेंट हो गया । कई लोगों को बहुत चोट लगी पर ईश्वर की कृपा से मुझे कम चोट लगी थी  |  वही मेरे पास की सीट पर रमेश था जिससे मेरी सफर के दौरान पहचान हो गई थी |  उसे भी मामूली सी चोट लगी थी |  बस के मुसाफिरों में से दो की मौत घटनास्थल पर हो गई  | अपनी आंखों के सामने उनकी मौत को देख हम सब बहुत घबरा गए थे |  मैं अपने आप को खुशनसीब मानता हूं कि हमें सिर्फ मामूली सी चोट लगी  | तभी मेरे मन में न जाने कैसे एक योजनाआई  | मैंने रमेश को तुम्हारा फोन नंबर दिया और कहा कि सिटी हॉस्पिटल में तुम्हें बुला ले  | मैं  अपनी मौत की प्रतिक्रिया जीते जी तुम दोनों पर देखना चाहता था _कहते-कहते रोहन भावुक होने लगा पर  माँ की आंखें गुस्से से दहकने लगी |  उन्होंने रोहन को थप्पड़ मारते हुए गुस्से में कहा _"ऐसा मजाक या ऐसी योजना कोई बनाता है क्या, अगर तुम्हारी मौत की खबर सुनकर हम दोनों में से किसी की सदमे से हालत बिगड़ जाती तो तुम्हारे पास अफसोस करने के अलावा कोई चारा नहीं रहता" |

 अब रोहन को अपनी गलती का एहसास हुआ उसने  माँ से माफी  माँगते हुए कहा पता नहीं कैसे मेरे दिमाग में यह फितूर समा गया और मैंने अपनी मौत की झूठी खबर दी |  मैंने बहुत बड़ी गलती की है |  मजाक की एक सीमा होती है यह मुझे अब समझ में आ गया | 

उसने रोमा की तरफ देखते हुए उससे भी माफी  माँगी  | रोमा तो अभी रोए जा रही थी पर यह आंसू खुशी के आंसू थे |

 

-अर्चना तिवारी

वडोदरा, गुजरात 

 

 

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