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सृजन समूह शामली, उत्तर प्रदेश

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मंगलवार, 1 जून 2021

शवासन


    शवासन :

 अपने शरीर को शव (मुर्दा) की तरह क्रियाहीन कर देने पर हमारा मन विचार शून्य हो जाता है। हमारे चेहरे पर भाव समाप्त हो जाते हैं। मन शांत हो जाता है।हम अपने मूल स्वरूप में लौट आते हैं ।शव (मुर्दा)के समान हो जाने के कारण ही इसको शवासन कहते हैं।

विधि:-

ऐसा समय व स्थान चुनें जहां आपको अगले एक घंटे कोई बाधा(disturb)न हो।किसी समतल आसान पर पीठ के बल सीधे लेट जाएं।दोनों पैरों में फासला,दोनों हाथ शरीर से थोड़ा दूर।हथेलियों का रुख आसमान की ओर। पूरे शरीर को ढीला छोड़ दें। अपने ध्यान को पहले दाहिनी टांग पर ले जाएं व घुटने से नीचे महसूस करें कि यह शिथिल हो रही है।फिर बाईं टांग को भी ऐसा ही महसूस करें। 2 मिनट तक ऐसा भाव करने पर पैर भारी महसूस होने लगेंगे।फिर क्रमश: दाईं व बाईं टांग को जंघा से पैर तक शिथिल महसूस करें।आपकी दोनों टांगे भारी हो जाएंगी। फिर पेट पर ध्यान ले जाएं। पेट को ढीला छोड़ दें। 2 मिनट तक पेट को शिथिल महसूस करें। अब अपने सीने पर ध्यान ले जाएं,इसे ढीला छोड़ दें।सीना भी शिथिल हो जाएगा। अब दोनों कंधे व हाथों को ढीला छोड़ दें, शिथिल महसूस करें।अब गर्दन पर ध्यान ले जाएं भाव करें कि गर्दन शिथिल हो रही है। अपने चेहरे(गाल,नाक, आँखें,कान) को शिथिल महसूस करें। अपने सिर को दाएं से बाएं व पीछे की ओर से भी शिथिल महसूस करें।

अब अपने शरीर को पुन: ऊपर से नीचे तक एक-एक अंग को शिथिल करते हुए सिर से पैरों के पंजों तक जाएं।

 अब आपका पूरा शरीर शांत, निष्क्रिय व शिथिल हो जाएगा। इसी स्थिति में बने रहें।अपने शरीर को शव की तरह व स्वयं को दृष्टा की तरह महसूस करें।धीरे-धीरे आपकी सांसे थोड़ी छोटी हो जाएंगी।आपका मन निर्विचार हो जाएगा।आपको बाहर की सभी आवाजें सुनाई दे रही हैं,सुनते रहें परंतु किसी प्रकार की (शारीरिक या मानसिक)प्रतिक्रिया न करें।आधा घंटा/एक घंटा जब तक चाहें इस स्थिति में बने रहें। इससे बाहर आने के लिए पहले 2-3 लंबी गहरी सांस लें। फिर पैरों व हाथों को खींचे।फिर पूरे शरीर को हिलाएं फिर करवट लेते हुए उठ जाएं।

 खाना खाने के बाद या रात में सोने से पूर्व भी इस क्रिया को कर सकते हैं। थका होने पर,अशांत होने पर,शारीरिक श्रम या योगासन प्राणायाम के बाद इसे करें। शुरू में जब आप इसे करेंगे तो आपको नींद आ सकती है तो भी आपको लाभ मिलेगा। ज्यादा लाभ के लिए आपको इसमें सोना नहीं है। शिथिल, निर्विचार, निर्भाव पड़े रहना है। जब आप उठेंगे,आपको आपका मस्तिष्क,आपका शरीर तरोताजा महसूस होगा।आपका तनाव,थकान,अशांति गायब हो चुकी होगी।

   आप इसको और बेहतर सीखने के लिए वीडियो का सहारा भी ले सकते हैं।

         

                     पुष्पेंद्र कुमार सैनी(प्रधानाध्यापक)

                         प्राथमिक विद्यालय मानकपुर

                         थानाभवन (शामली)

 

  

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