आँगन की हैं शान बेटियाँ
त्याग, समर्पण से ये अपने
घर को स्वर्ग बना देती हैं
धीरज, ममता की ख़ुशबू से
जीवन को महका देती हैं
माँ की लगती हैं परछाई
बाबुल की हैं जान बेटियाँ
इनके पंख न कतरो इनको
दूर गगन में उड़ जाने दो
इनके क़दमों को मत रोको
अपना कौशल दिखलाने दो
इनके बिन सब सूना-सूना
जीवन की मुस्कान बेटियाँ
दुनिया गर, मजबूत इमारत
ये बेटी आधार बनी है
दुर्गा का स्वरूप यही है
करुणा का अवतार बनी है
लिखती हैं इतिहास नया ये
कुल की हैं पहचान बेटियाँ
रब का है वरदान बेटियाँ
आँगन की हैं शान बेटियाँ
- सुनीता काम्बोज