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सृजन समूह शामली, उत्तर प्रदेश

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गुरुवार, 11 मार्च 2021

समस्या और समाधान

 समस्या:-

          जीवन में अनेक उतार-चढ़ाव,सुख-दुख आते हैं।सुख के पल जल्दी बीत जाते हैं परंतु दुख का हर क्षण पहाड़ सा


लगता है। कभी-कभी जीवन में विषम परिस्थिति आ खड़ी होती है जिससे हम जल्दी बाहर आना चाहते हैं परंतु आ नहीं पाते।जब प्रतिकूल परिस्थिति आती है तो हमारा मन घबराता है। हम दुखी होते हैं।यह स्थिति हमारे लिए समस्या होती है।

समस्याएं हमेशा रहेंगी:-

           आप कहीं भी चले जाएं,समस्याओं के रूप बदल सकते हैं परंतु समस्याएं खत्म नहीं होती।जब तक जीवन है तब तक समस्याएं रहेंगी।

           पढ़ाई के शुरू में छोटा बच्चा जब वर्णमाला सीख लेता है। तो सिलसिला यहीं नहीं रुक जाता। जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है,उसकी कक्षा भी बढ़ती जाती है।उसकी पुस्तकें भारी होती जाती हैं। कोर्स बढ़ता जाता है परंतु उसका मस्तिष्क भी तो तेज हो रहा होता है। उसी तरह जैसे-जैसे आप बड़े हो रहे हैं आपकी समस्याएं भी बढ़ती चली जाएंगी।शारीरिक,पारिवारिक,सामाजिक अनेक समस्याओं से आपको दो-चार होना पड़ेगा। परंतु आपको घबराना नहीं है।जैसे-जैसे आप बड़े हो रहे हैं,समस्याओं को झेलने का आपका ज्ञान,कौशल बढ़ता जाना चाहिए।समस्या से डरिए नहीं उसका सामना कीजिए।साहस और धैर्य बनाए रखिए।हर मुश्किल का हल होगा आज नहीं तो कल होगा।       

जब समस्या आती है:-

             जब आप समस्याओं में अति घिर जाते हैं तो आप अंदर ही अंदर रोते हैं।आपको कुछ भी अच्छा नहीं लगता।आपका तन-मन उर्जा हीन ,उत्साह हीन हो जाता है। आप का अंतर्मन भगवान को कोसता है कि हे भगवान मेरे साथ अन्याय हो रहा है।आप क्यों नहीं देखते?क्यों मेरे कष्ट नहीं हरते?परंतु याद रहे प्रकृति किसी पर दया नहीं करती।उसकी व्यवस्थाएं,उसकी परीक्षाएं बड़ी कठोर हैं।लाखों पौधे व जीव प्रतिवर्ष ठंड में मर जाते हैं। न जाने कितने निरीह जीव प्रतिदिन हिंसक पशुओं का शिकार होकर उनकी भूख को शांत करते हैं।           जब आप समस्या में घिर जाते हैं,आप अधीर हो उठते हैं।आप चाहते हैं कि समस्या आज ही हल हो जाए परंतु कुछ भी अपने हाथ में नहीं होता। उस समय आप का सबसे बड़ा साथी होता है धैर्य।आपको समाधान नहीं सूझता क्योंकि डर व घबराहट से आपका मस्तिष्क हैंग हो जाता है।आप दूसरों से सहानुभूति व सहयोग चाहते हैं। उस समय आप केवल भावात्मक विचारों से घिरे होते हैं। आपकी तर्क बुद्धि शक्ति,मानसिक शक्ति शून्य हो जाती है।दूसरों को अपनी समस्या सुनाकर आपका मन हल्का हो जाता है। ऐसा करना भी चाहिए।परंतु सावधान! उस समय कोई चालाक,धूर्त व्यक्ति आपको सहानुभूति जताकर,आपकी भावनाओं से खेलकर,आपको गलत राह पर चला सकता है,आपको और अधिक समस्याओं में धकेल सकता है अथवा आपका अनुचित लाभ उठा सकता है।अतः अपनी आंतरिक बातें केवल विश्वसनीय साथी से ही शेयर करें।                 

    विश्वास कीजिए समस्या केवल 5% ही होती  है।95% हमारे साथ सही हो रहा होता है पर हमारा मन उस 95% को नहीं देखता 5% पर ही अटका रहता है। हमारा मन,हमारी संकुचित बुद्धि,हमारी नकारात्मक सोच उसे 5% से बढ़ाकर 20%,30%,50%,80% कर देती है क्योंकि नकारात्मक सोचने की हमारी आदत है। हमारा मन हमेंं कल्पनाओं से, अनेकों संभावनाओं से डराता है।उस समय आपको सपने भी समस्याओं भरे आते हैं जो आपके तन-मन को निरंतर  हानि पहुंचाते हैं।                         

  अपने अतीत जीवन में झांकर देखिए कितनी बार ऐसा हुआ जब हम किसी चीज को समस्या मान रहे थे पर वह समस्या थी ही नहीं। कितनी बार ऐसा हुआ जब हम समस्या को बहुत बड़ी मानकर मरे जा रहे थे परंतु वह तो इतनी बड़ी थी ही नहीं। कितनी बार ऐसा हुआ जब हम कल्पनाओं में डूबे थे कि जब यह समस्या आएगी तो यह हो जाएगा वह हो जाएगा पर जब वह समय आया तो जैसा हम सोच रहे थे वैसा कुछ  हुआ ही नहीं। सब अच्छे से निपट गया। कितनी बार हमने अपनी समस्याओं को कुशलता से पार किया। कितनी बार हमने अपने जीवन में बाधाओं को पार करते हुए छोटी बड़ी सफलताएं प्राप्त की। फिर समस्या आते ही हम अपनी शक्ति क्यों भूल जाते हैं?

 समस्या का कारण:-

                यदि आप हर समय कल्पनाओं में रहते हैं।हर समय एक अनचाहा डर सा महसूस करते हैं।मन ही मन में समस्याओं के पहाड़ बनाकर उन से लड़कर अपनी ऊर्जा बर्बाद करते रहते हैं। अंधेरे से,भूत से,अकेलेपन से डरते हैं। छोटी सी बात को मन ही मन में बड़ा बना लेते हैं। तो यकीन मानिए आपको समस्या की जरूरत नहीं।आप स्वयं ही अपने लिए एक समस्या हैं और समस्या का कारण बाहर नहीं आपके अंदर ही है। यह कारण है-डर। यह डर बचपन से आपके साथ-साथ बड़ा हो रहा है।आप से ही पोषण प्राप्त करते हुए अब यह जवान हो गया है। धीरे-धीरे यह आपको अति कमजोर बनाकर मार डालेगा।

डर के प्रभाव:- 

                आपका मन आपको कई तरह से डरता है।अनेकों संभावनाएं दिखा कर डराता है।आप कहेंगे मेरा डरना जायज है मेरी समस्याएं बहुत विकट हैं। मेरा सामना बहुत दुष्ट,शक्तिशाली व्यक्ति से है। उसके पास सब छल-बल है।सब उसी का साथ देंगे। मेरे साथ कोई नही है। याद कीजिए हमारे वीर स्वतंत्रता सैनानी उनके पास कहाँ इतना सामर्थ था,याद कीजिए महात्मा गांधी वह तो युवा भी नहीं थे।फिर भी वें सब निकल पड़े थे अंग्रेजों की इतनी बड़ी व मजबूत व्यवस्था से टक्कर लेने क्योंकि उन्होंने अपने डर को जीत लिया था। बाबा साहब अंबेडकर समाज की खोखली व्यवस्था का दंश झेलते हुए बड़े हुए परंतु बिखरे नहीं। उच्च शिक्षा प्राप्त कर संविधान निर्माण में बड़ी भूमिका निभाई और देश की दिशा बदल दी।डर की जंजीरें तोड़नी होंगी।

               डर ने आपके पैरों को जकड़ रखा है। सबसे बड़ा डर होता है- 'मैं' और 'मेरा' का डर। कहीं मैं लड़ता हुआ बर्बाद न हो जाऊं।कहीं मैं मर ना जाऊं। मेरी प्रतिष्ठा,मेरा परिवार,मेरा सब कुछ नष्ट न हो जाए। इस डर के कारण इस जन्म में भी व पूर्व जन्मों में भी न जाने आप कितनी बार मरे हैं। जन्म जन्मांतर के संस्कार हमारे साथ चलते हैं। यदि इस बार भी आपने अपने डर पर विजय नहीं पाई तो यह डर आपको अगले जन्मों में भी डराता रहेगा। यदि आपने इस जन्म में अपने डर पर विजय प्राप्त कर ली या डर को समाप्त करके आप लड़ते हुए मर भी गए तो आप का अगला जन्म सुखमय होगा। डर आपको नहीं  डराएगा।

                वैसे भी अगर आप डर के साथ जिंदा भी रहे,तो क्या खाक जी रहे हैं आप। पहली बात तो यह  कि डर कर जीने वाला कभी स्वस्थ नहीं रह सकता। दूसरा डर के साथ जीते हुए आपका जीवन उत्साहीन, उदास,हीन भावना से ग्रसित,आत्मग्लानि भरा हो जाता है। क्या करेंगे आप ऐसा जीवन जी कर।इससे तो अच्छा है कि आप संघर्ष करते हुए बहादुरी के साथ मृत्यु को प्राप्त करें।

डर का खात्मा:-

               डर को खत्म करने के लिए डर के पार जाना होगा। आपने सुना ही होगा डर के आगे जीत है।डर से लड़ते हुए या तो आप बिखर जाएंगे या निखर जाएंगे।डर का सामना करके ही डर के पार जा सकते हैं।जिस दिन आप डर के पार चले गए आप स्वयं को हल्का महसूस करेंगे। डर छूमंतर हो जाएगा। आपका आत्मविश्वास बढ़ जाएगा। आपको अमूल्य चीज मिलेगी-अनुभव। तब आप दूसरों को सलाह देने के काबिल हो जाएंगे।

             परंतु हम डर के पार जाते क्यों नहीं क्योंकि हम समस्या से डरकर डर में ही अटके रह जाते हैं। हमारा आत्मविश्वास डगमगा जाता है। हमारा मन हमें डराता है। ऐसा किया तो वैसा हो जाएगा। यह हो जाएगा, वह हो जाएगा। ऐसा हो गया तो? वैसा हो गया तो? इसके लिए  सबसे पहले हमें स्वयं से लड़ना होगा। जीहाँ स्वयं से। हमें दूसरों को नहीं,स्वयं को बदलना है। दूसरों को नहीं,स्वयं को जीतना है।समस्या आपके अंदर ही है तो समाधान भी अंदर से ही आएगा।समस्या के बीच-बीच में रिलैक्स के पल आते हैं तब आपकी बुद्धि काम कर रही होती है।उस समय गहराई से अपना मूल्यांकन कीजिए अपनी कमजोरियों को,अपनी गलत आदतों को, अपने डर को नोट कीजिए व उन पर बार-बार वार करके उन्हें पराजित कीजिए। अगर आप ऐसा कर सके तो दुनिया में आपको कोई नहीं हरा सकता। जो स्वयं को जीत ले वह दुनिया जीत सकता है।

समस्याओं का समाधान कैसे करें

          ●इस सृष्टि में मनुष्य को छोड़कर बाकी सब भोग  योनियां हैं। केवल मनुष्य योनि ही कर्म योनि है।आप मनुष्य हैं मनुष्य को भगवान ने असीम शक्तियां दी हैं।अच्छे बुरे का ज्ञान दिया है और सबसे बड़ी शक्ति दी है कर्म की शक्ति। आप कब,कहाँ, किस जाति-धर्म, देश,काल-परिस्थिति में पैदा हुए और कब,कहाँ,कैसे मरेंगे यह आपके हाथ में नहीं है परंतु आप अपना जीवन कैसे जियें यह आपके अपने हाथ में है।यह है कर्म की शक्ति।जो केवल मनुष्य को ही प्राप्त है।आप सत्य निष्ठा से अपने कर्म पथ पर आगे बढिए,प्रभुु आपको राह दिखाएंगे।किसी न किसी रूप में साथ भी देंगे।

          ●कई बार हम बदलावों को समस्या मान लेते हैं याद रहे परिवर्तन प्रकृति का नियम है।

          ●रति,क्रोध,मोह,लोभ,ईर्ष्या,भय,द्वेष अन्य भावों(feelings) पर नियंत्रण लाएं। इनके अनियंत्रित होने से समस्याएं आती हैं या समस्याएं बढ़ जाती हैं। इनको नियंत्रित करके आप अपने मन पर काबू पा सकते हैं। फिर आप स्वयं नियंत्रित, शांत चित्त, स्थिर बुद्धि हो जाएंगे ।तब आप हर व्यक्ति से हर परिस्थिति में सामंजस्य(adjustment) करना सीख जाएंगे। इसके लिए आप योग अपनाएं। ध्यान (Meditation),योग निद्रा से आप अपने भावों में बदलाव ला सकते हैं।

    ●कई बार अज्ञानता,अल्प बुद्धि के कारण हम समस्याएं झेलते हैं। चर्चा कीजिए,स्वाध्याय कीजिए। अपने ज्ञान को,व्यवहार कुशलता को बढ़ाइए।

          ●यदि आप सही हैं तो अपने को सही साबित करने की कोशिश मत करो। बस धैर्य बनाए रखो। समय अपने आप,आपको सही साबित कर देगा।

          ●अपने अंदर अहंकार न बढ़ने दें। अपने व्यवहार से,कर्म से बड़े बने।धन व पद से नहीं। विनम्रता कोबढ़ाते चले जाएं। शांत रहें खुश रहें।        

  ●बड़े भाग मनुष तन पावा।अपनी शक्ति को पहचानिए।अपने पुरुषार्थ से हम अपने भाग्य को भी बदल सकते हैं।धीर-वीर-गंभीर बनिए कष्ट तो आएंगे पर आप उन्हें खुशी से सह लेंगे।

          ●वर्तमान की हमारी समस्याएं जाने अनजाने में की गई हमारी ही गलतियों का परिणाम होती हैं। हम वहीं काट रहे होते हैं जो हमने बोया था। अपनी गलतियों से शिक्षा लेते हुए आगे बढ़ चलें। बीती ताहि बिसारि दे,आगे की सुधि लेइ।

          ●हमारा शरीर हार्डवेयर है। मन विचारों की शक्ति सॉफ्टवेयर है। दोनों में संतुलन होगा तो हम पूर्ण स्वस्थ रहेंगे। दोनों को स्वस्थ और मजबूत बनाइए,तब हम विषम परिस्थितियों का सामना खूबसूरती से कर लेंगे अन्यथा समस्या आते ही हमारा मस्तिष्क हैंग हो जाता है।

           ●यदि हम गलत हैं तो हमें सुधारने के लिए समस्याएं आती हैं।यदि हम सही हैं तो हमें मजबूत बनाने के लिए समस्याएं आती है। दोनों स्थिति में हमारा ही लाभ है। प्रभु हमें वह नहीं देते जो हमें अच्छा लगता है बल्कि वह देते हैं जो हमारे लिए अच्छा होता है।अतः समस्याओं को सहर्ष स्वीकार करें।

           ●यदि आप प्रभु से प्रार्थना कर यह मांगते हैं कि हे भगवान मेरे जीवन में कोई कष्ट,परेशानी न देना तो कल्पना कीजिए आप रोड पर ड्राइविंग कर रहे हैं और आप दुआ मांग रहे हैं  "इस रोड पर कोई गड्ढा,कोई स्पीड ब्रेकर न हो। कोई मोड न आए,कोई भीड़ न आए। मेरी गाड़ी आराम से मजे से चलती रहे।"तो क्या ऐसा संभव है?आपकी सोच गलत है।यह मृत्युलोक है साहब।यहाँ हम सब दुख भोगने ही आए हैं।जब आप रोड पर निकल ही पड़े हैं तो गड्ढे,स्पीड ब्रेकर,मोड़,भीड़ सब कुछ आएगा।आवश्यकता यह है कि आप कुशल ड्राइवर बनें।सभी बाधाओं को पार करते हुए अपनी मंजिल पर पहुँचें।

          ●80% समस्याएं हमारी खराब मनोदशा के कारण होती हैं।यथा दृष्टि तथा सृष्टि।मनोदशा  बदलने से दुनिया बदल जाती है। बाकी समस्याओं के लिए प्रेम पूर्वक वार्ता कर समाधान की कोशिश करें।फिर भी यदि लड़ना पड़े तो द्वंद्व रहित,निडर होकर पूरी शक्ति से लड़ें।केवल बातों से समाधान होता तो कृष्णजी महाभारत का युद्ध न होने देते।

              


              -- पुष्पेंद्र कुमार सैनी (प्र0अ0)

                  प्राथमिक विद्यालय मानकपुर

                  थानाभवन (शामली)


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