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सृजन समूह शामली, उत्तर प्रदेश

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शनिवार, 23 जनवरी 2021

लत मोबाइल की

      मोहन बाबू अपने कमरे में लेटे थे। उन्हें सीने में दर्द हो रहा था। उन्होंने सोचा थोड़ी देर आराम करने के बाद ठीक हो जाएगा, पर दर्द तो बढ़ने लगा।

   बिस्तर पर लेटे लेटे हैं उन्होंने ड्राइंग रूम में देखा ।टीवी पर जोर जोर से किसी न्यूज़ रीडर की आवाज आ रही थी  उनकी पत्नी राधिका और दोनों बच्चे अपने अपने मोबाइल में कुछ देख रहे थे। 

   वे धीरे धीरे चलते हुए वहां पहुँचे।  राधिका की तरफ देखा।  राधिका को उनके आने का पता न चला क्योंकि वह अपने मोबाइल में कोई वीडियो देख रही थी, जिस की आवाज जोर जोर से आ रही थी ।

   उन्होंने स्कूटी की चाबी उठाई और दरवाजे की तरफ जाते हुए कहा -तुम लोग अपने अपने मोबाइल में कुछ देख रहे हो तो टीवी बंद कर दो बहुत तेज़ आवाज़ हो रही है ।।       उनकी आवाज सुनकर राधिका ने उनकी तरफ देखते हुए पूछा -"कहां जा रहे हो"? मोहन बाबू ने कहा- सुबह से सीने में दर्द है इसलिए डॉक्टर को दिखा कर आता हूँ। राधिका ने बैठे-बैठे ही कहा -अच्छा जाओ, अगर मेरी जरूरत हुई तो मुझे फोन करके बुला लेना ।दोनों बच्चे अब भी मोबाइल में ही कुछ देख रहे थे ।उन्हें तो  पापा की तरफ देखना भी गवारा न था । 

    वे बाहर पार्किंग में आकर स्कूटी स्टार्ट करने लगे पर वह स्टार्ट न हो रही थी। तभी सोसाइटी का माली दीपक अपनी साइकिल  पार्क करने आया ।उसकी नजर  उनपर पड़ी। उन्हें देखते हैं वह घबराकर पूछा- साहब आपकी तबीयत तो ठीक है न, आप को बहुत पसीना आ रहा है ।आप पीछे बैठ जाइए मैं आपको ले चलता हूँ, कहां जाना है ?मोहन बाबू ने कहा- तुमने ठीक कहा दीपक, मेरी तबीयत ठीक नहीं है इसलिए डॉक्टर के पास दिखाने जा रहा हूँ ।दीपक उन्हें स्कूटी पर पीछे बिठाकर डॉक्टर के पास चल पड़ा। रास्ते में मोहन बाबू की तबीयत अधिक बिगड़ने लगी ।जैसे ही वह हॉस्पिटल पहुंचा दौड़ कर व्हीलचेयर ले आया और उन्हें बिठाकर भागता हुआ डॉक्टर के पास ले गया।डॉक्टर ने कहा- तुमने ठीक समय पर इन्हें लाकर इन की जान बचा दी, इन्हें माइल्ड हार्ट अटैक हुआ है। ब्लॉकेज के कारण इनका  ऑपरेशन  अभी ही करना पड़ेगा। तुम इनके घर से किसी को बुला लो क्योंकि ऑपरेशनके पहले पेपर पर  साइन लेनी होगी ।

    इधर दीपक के फोन की घंटी बार-बार बज रही थी ।उसने एक दो लोगों को तो यह कहकर मना कर दिया कि आज मैं काम पर नहीं आ रहा हूँ। मेरी वेतन से मेरे पैसे काट लेना ।

  तभी फिर से फोन की घंटी बज उठी। उसने देखा तो मोहन बाबू की पत्नी राधिका का फोन था। राधिका ने उसे डांटते हुए कहा- आज तुम काम पर क्यों नहीं आए दीपक, मैं तुम्हारी पगार में से पैसे काट लूंगी। दीपक ने घबराते हुए पूरी बात बताई और जल्दी से हॉस्पिटल पहुंचने को कहा। मोहन बाबू की हालत बिगड़ती जा रही थी ।डॉक्टर उन्हें ऑपरेशन थिएटर में ले जाने की तैयारी कर रहे थे पर पेपर पर साइन अब भी बाकी थी। डॉक्टर ने  दीपक को बुलाया ।जब दीपक उनके पास गया तो उन्होंने घर के लोगों के आने के बारे में पूछा ।मोहन बाबू उनकी बात सुन रहे थे। उन्होंने इशारे से दीपक को बुलाया और डॉक्टर साहब से कहा- मेरे दोनों बच्चों से बढ़कर इस समय मेरे लिए दीपक है मैं आपसे अनुरोध करता हूँ, पेपर पर आप इसकी साइन ले लो और मेरा ऑपरेशन शुरू कर  दो।

    डॉक्टर साहब ने दीपक के साइन के बाद मोहन बाबू का ऑपरेशन शुरू किया । 

    अब  राधिका भी वहां पहुंच गई थी और बेचैनी से मोहन बाबू के ऑपरेशन थिएटर के बाहर इंतजार कर रही थी। ऑपरेशन के बाद मोहन बाबू की आंख खुली तो सामने राधिका और दोनों बच्चों को देखा ।इधर उधर देख दीपक के बारे में पूछने लगे। दीपक तो अब भी बाहर भगवान की मूर्ति के सामने हाथ जोड़कर प्रार्थना कर रहा था ।

राधिका ने दीपक को आवाज देकर अंदर बुलाया ।मोहन बाबू दीपक की तरफ कृतज्ञता भरी नजरों से देख रहे थे। मानो कहना चाहते थे -"मेरी जान बचाने के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया "।

तुमने मेरे अपनों से बढ़कर काम किया है ।आज मैं जिंदा हूं तो सिर्फ तुम्हारी वजह से। मन में चल रहे इस अंतर्द्वंद को बच्चों और राधिका को भी दिखाना चाहते थे, जो मोबाइल के कारण पंगु बनते जा रहे हैं। अपनों के दर्द, उनकी भावनाओं के एहसास से दूर बहुत दूर चले जा रहे हैं।

 

अर्चना तिवारी

बरोडा, गुजरात 

 

 

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