यत्र नार्यस्तु पूज्यंते, रमंते तत्र देवता'यह विचार भारतीय संस्कृति का आधार स्तंभ है।महिलाएं समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती आ रही है।उनके बिना विकसित तथा समृद्ध समाज की कल्पना भी नहीं की जा सकती है।ब्रिंघम यंग ने कहा है"यदि आप एक आदमी को शिक्षित करते हैं तो सिर्फ एक आदमी को शिक्षित करते हैं पर यदि आप एक महिला को शिक्षित करते है तो आप आने वाली पूरी पीढी को शिक्षित करते है।"
स्त्री समाज का दर्पण होती है। यदि किसी समाज की स्थिति को हमें देखना है तो वहाँ की नारी की स्थिति को देखना होगा।राष्ट्र की प्रतिष्ठा, गरिमाउसकी समृद्धि पर ही नहीं अपितु उस राष्ट्र के सुसंस्कृत एवं चरित्रवान नागरिकों पर निर्भर करती है।ये संस्कार माँ देती है।स्त्री एक मार्गदर्शक है वह जैसा चित्र अपने परिवार के सामने रखती है, परिवार व बच्चें वैसे ही बन जाते हैं।माँ के कृतित्व का बच्चों पर सकारात्मक व नकारात्मक दोनों प्रकार का प्रभाव पड़ता है।माँ जीजाबाई ने शिवाजी तथा पुतलीबाई ने महात्मा गांधी में श्रेष्ठ संस्कारों का बीजारोपण किया।
मध्यकालीन युग में महिलाओं की स्थिति दयनीय हो गई थी। उनके अधिकार सीमित कर दिए गए। बाल विवाह , सती प्रथा, जौहर प्रथा जैसी कुरीतियों की भेंट चढने लगी।नारी का शोषण तो आज भी होता है परन्तु आधुनिक नारी उस शोषण के खिलाफ आवाज उठाने लगी है।भारत में ऐसी महिलाओं की कमी नहीं है जिन्होंने समाज में बदलाव की बयार बहा दी। किसी ने बहुत अच्छी बात कही है"नारी जब अपने ऊपर थोपी हुई बेडियों एवं कडिय़ों को तोड़ने लगेगी तो विश्व की कोई शक्ति उसे आगे बढ़ने से नहीं रोक पाएगी। "प्रसिद्ध शिक्षाविद् आशा रानी के अनुसार " स्त्रियों को अपनी प्रगति के उतार चढ़ाव का अध्ययन करना होगा। अपने नये पुराने मूल्यों को परखकर भविष्य की राह बनानी होगी।"
कोमलता, दया और स्नेह एक स्त्री का स्वभाव है। बच्चों को सँभालना, परिवार के हर सदस्यों की हर रूप में सेवा करना आदि उत्तरदायित्वों से पलायनवादी दृष्टि नहीं अपनाती। केवल घर में ही नहीं आज उसका कार्यक्षेत्र राजनीति, वैज्ञानिक संस्थान, पर्वतारोहण क्रीड़ा जगत, पुलिस, सेना आदि भी हो चुका है।आधुनिक युग में आर्थिक
स्वावलंबन ने उसके आत्मविश्वास में वृद्धि की है। आज की स्थिति यह है कि हैदराबाद की सब लेफ्टिनेंट रीति सिंह और गाजियाबाद की कुमुदिनी त्यागी पहली बार युद्धपोत पर तैनात महिला अफसर होंगी। भारतीय वायुसेना की एक महिला लडाकू पायलट जल्द ही गोल्डन ऐरो स्क्वाड्रन में शामिल होंगी।
अंतरिक्ष में मंगलमिशन अभियान की बागडोर एक महिला वैज्ञानिक के हाथों में थी। आज विकास का कोई भी क्षेत्र महिलाओं से अछूता नहीं रह गया है। परंतु आधुनिक नारी को स्वतंत्रता एवं स्वछंदता के अंतर को समझना होगा। जो स्वतंत्रता उसे प्राप्त हुई है उसे स्वछंदता में न बदलकर एक गरिमापूर्ण अवसर में परिवर्तित करना होगा। आज की कुछ महिलाएं इस उपभोक्तावादी संस्कृति का हिस्सा बनकर नैतिक पतन की ओर अग्रसर हो रही है जिससे सबकी नजरों में वह एक मनोरंजन का साधन बनकर रह गई है। समाज की अन्य महिलाओं के रास्ते में अवरोध उत्पन्न कर रही है। परिणामस्वरूप समाज में कुछ लडकियों को उनका उदाहरण देकर आगे बढ़ने से रोका जा रहा है तो दूसरी ओर समाज में महिलाओं के साथ अनैतिक कार्यों में वृद्धि हो रही है।
अतः आज आवश्यकता है कि महिलाएं कि महिलाएं आधुनिकता की अंधी दौड़ में शामिल न होकर सम्मान के पथ पर आगे बढे और समाज के लिए एक स्वस्थ नजीर बनकर चले।
नारी तुम महान हो, जीवनदायिनी हो
राष्ट्र का भविष्य तुम ही बनाती हो
संस्कार जैसे देती हो वैसा ही बन जाता है
पल्लवित पुष्पित होकर वटवृक्ष बन जाता है
एक उज्जवल भविष्य की है डोर तुम्हारे हाथों में
अब फिर ऐसी पीढी का तुम निर्माण करो
स्मृतियों में रहे युगों तक, ऐसी तुम पहचान बनो।।
अलका शर्मा स०अ०
क०उ०प्रा०वि०भूरा
कैराना, शामली