भारत की पहली महिला लड़ाकू पायलटों में से एक है। वह रीवा जिले से है जो मध्य प्रदेश में है। उन्हें अपनी दो साथियों- मोहन सिंह और भावना कंठ के साथ पहली बार लड़ाकू पायलट घोषित किया गया था। इन तीनों को जून 2016 में भारतीय वायु सेना के लड़ाकू स्क्वाड्रन में शामिल किया गया। उन्हें औपचारिक रूप से तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर द्वारा कमीशन में शामिल किया गया था।
22-वर्षीय चतुर्वेदी ने अपना पूरा प्रशिक्षण हैदराबाद की वायु सेना अकादमी से लिया। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा दियोलैंड से की जो कि मध्य प्रदेश के शहडोल जिले में स्थित एक छोटा सा शहर है। उन्होंने २०१४ में अपनी स्नातक प्रौद्योगिकी वनस्थली विश्वविद्यालय, राजस्थान से करते हुए भारतीय वायु सेना की परीक्षा भी पारित की।
उनके पिता संसदीय सरकार में एक कार्यकारी इंजीनियर और माता एक गृहिणी हैं। चतुर्वेदी को टेनिस खेलना और चित्रकारी करना पसंद है। उन्हें अपने परिवार के सेना अधिकारियों द्वारा प्रेरणा प्राप्त हुई।उन्हें अपने महाविद्यालय के फ्लाइंग क्लब से कुछ घंटे की उड़ान का अनुभव प्राप्त हुआ जिसने उन्हें भारतीय वायुसेना मे शामिल होने के लिए प्रेरित किया।
करियर
अपने प्रशिक्षण का एक वर्ष पूरा करने के पश्चात वह जून में लड़ाकू पायलट बनी। कर्णाटक से सटे बिदार से अपने प्रशिक्षण के तीसरे चरण को पूरा करने के पश्चात वह लड़ाकू जेट विमानों जैसे सुखोई और तेजस को उड़ाने में सक्षम हो जाएंगी ।
स्रोत: विविध