
पहचान--अवसाद ग्रस्त व्यक्ति हमेशा उदास रहता है।वह अपने वातावरण के प्रति निराशावादी
दृष्टिकोण रखता है।उसमें आत्मविश्वास की कमी आ जाती है ।वह स्वयं को परिवार एवं समुदाय से दूर रखने का प्रयास करता है।स्वभाव चिडचिडा हो जाता है।जीवन में कोई भी समस्या आने पर बहुत जल्दी हताश हो जाता है।हमेशा जीवन समाप्त करने की बात करता है।
बचाव--अवसादग्रस्त व्यक्ति की पहचान होने पर परिवार वालों को उसे अकेला नहीं छोडना चाहिए।मनोचिकित्सक को दिखाकर उसका पूरा उपचार कराना चाहिए ताकि उसे इस परिस्थिति से बाहर निकाला जा सके।भरपूर मात्रा में पानी का सेवन करें।पोषक तत्वों से युक्त भोजन करें।स्वस्थ जीवन शैली का प्रयोग करें।जल्दी सोना जल्दी उठना, योग व्यायाम करना ध्यान साधना को दिनचर्या में स्थान देने से अवसाद की स्थिति से बचाने में सहायक है।इससे हार्मोनल असन्तुलन को ठीक करने में सहायता मिलती है।शान्ति प्रदान करने वाली प्राकृतिक जगहों पर जाना चाहिए।मधुर संगीत सुनें ,सकारात्मक विचार प्रदान करने वाली किताबें पढ़नी चाहिए।अपनी मनपसंद स्वस्थ आदतें बनानी चाहिए ताकि जीवन में आनंद का प्रवाह बना रहे। सबसे महत्वपूर्ण अपने घर परिवार के सदस्य पास रहने चाहिए, उनमें बातचीत होने से मन में क्या चल रहा है पता चल जाता है।जब अपनों का प्यार और विश्वास साथ होता है तो अवसाद की स्थिति ही नहीं आती। पैसे के पीछे भागने से मानव अपनों से दूर हो कर एकाकी जीवन व्यतीत कर रहा है।बस फिर से अपनों के पास आने की आवश्यकता है। "उडता फिरता मानव, क्यों भौतिक सुखों की चाह में, जीवन है अनमोल तू आ जा अपनों की राह में।।
अलका शर्मा (स०अ०)
कन्या पूर्व मा०वि०भूरा
कैराना
जब किसी व्यक्ति के मन में नकारात्मक विचार ज्यादा बढ़ जाते हैं और सकारात्मक विचार कम हो जाते है उस परिस्थिति में व्यक्ति धीरे - धीरे अवसाद कि तरफ बढ़ जाता है। शुरुआत में यह सब सामान्य लगता है और इसे इग्नोर करते रहते हैं। लेकिन बाद में कभी - कभी इससे जटिल समस्याऐं पैदा हो जाती है। कई बार व्यक्ति अपने विचारों और भावों को दूसरों तक सही से पहुंचा नहीं पाता है। किसी कार्य को करने की कोशिश पूरी - पूरी करता है लेकिन परिणाम अलग ही मिलता है तो उस व्यक्ति के मन में धीरे - धीरे नकारात्मक विचार आने लगते है। फिर वह धीरे - धीरे परिवार व समाज से दूरी बनाने लगता है। अकेला रहना अच्छा लगता है। व्यवहार में चिडचिडापन
बढ़ जाता है। दूसरों से बात करने में, मिलने में अपनें आप को असहज महसूस करते हैं। कुछ भी रखने वाले व्यक्ति से सम्पर्क भी करा सकते है। इससे भी बहुत सुधार होता है। इस तरह हम किसी का जीवन सुखमय बना सकते हैं।
नीलम मलिक (स.अ.)
प्रा. वि.चंदनपुरी
वि क्षे़. ऊन, जनपद- शामली
अवसाद वर्तमान मशीनी युग में यह शब्द शायद अब
किसी के लिए भी अपरिचित नहीं रहा। अवसाद का शाब्दिक अर्थ है-धीरे धीरे बढ़ता हुआ। यदि यह बढ़ना खुशी,उत्साह या जोश का होता तो चिंता का विषय न होता परन्तु यह बढ़ना इंगित करता है- तनाव, निराशा, ईर्ष्या, कुंठा तथा नकारात्मक विचारधारा को।
मनोविज्ञान में अवसाद का अर्थ मनोभावों संबंधी दुख होता है जिसे रोग या सिंड्रोम की संज्ञा दी जाती है। उस व्यक्ति विशेष के लिये सुख शाँति,सफलता,खुशी यहां तक की सभी संबंध भी अर्थहीन हो जाते हैं। कई बार अतिरिक्त चिड़चिड़ापन, अहंकार, कटुता या आक्रमकता तथाअपराध की प्रवृत्ति या नशे की लत इसका परिणाम होती है। अवसाद मनोवैज्ञानिक अथवा भौतिक दोनो कारणों से हो सकता है। अवसाद के मनोवैज्ञानिक कारणों में मनुष्य का अत्यधिक महत्वाकांक्षी होना है। किसी व्यक्ति या वस्तु से अत्यधिक लगाव होने के बाद उससे अलगाव होना, किसी महत्वाकांक्षा का अधूरा रह जाना उसे अवसाद की स्थिति में पहुंचा सकता है। एक मशहूर कवि के शब्दों में-
ख्वाब बहुत पेचीदा होते हैं
पूरे हों जायें तो,
अहंकार आ जाता है और
अधूरे रह जाएं तो अवसाद।
ख्वाब बहुत पेचीदा होते हैं
पूरे हों जायें तो,
अहंकार आ जाता है और
अधूरे रह जाएं तो अवसाद।
किसी प्रियजन से अलगाव या अधूरी महत्वकांक्षा मनुष्य को असन्तुलित कर देती है। वह
स्वयं की शक्ति को पहचानने में असमर्थ हो जाता है,अविश्वासी हो जाता है। कई बार अंतर्मुखी,
एकांकी जीवन को अपनाकर गहरे मौन में चले जाते है यहां तक के आत्महत्या तक कर लेते हैं। इसका ताजा उदाहरण युवा अभिनेता सुशांत राजपूत है जिन्हें सब प्रकार से सम्पन्न होने के बाद भी अवसाद ने आत्महत्या की स्थिति में पहुंचा दिया।
अवसाद के भौतिक कारणों में कुपोषण, तनाव, बीमारी, अनुवांशिकता, नशा या किसी भी अप्रिय स्थिति का लंबे समय तक रहना हो सकता है। अवसाद अक्सर मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर्स की कमी के कारण होता है जो की दिमाग के विभिन्न हिस्सों में सामंजस्य स्थापित करते हैं। अवसाद के कारण निर्णय लेने में अड़चन,अनिद्रा,अरुचि मनुष्य में कुंठा पैदा करती है व मनुष्य भावनात्मक रूप से कमजोर हो जाता है। इस प्रकार के व्यक्ति का उपचार मनोचिकित्सक से कराने के साथ ही उसे प्यार और सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार की भी आवश्यकता होती है। उसका आत्मविश्वास जगाना, सकारात्मक विचारधारा को बढ़ावा देना,उसकी रूचियों को प्रोत्साहन देना व उसे खुश रखने का प्रयास करना उसे अवसाद से निकलने में सहायक हो सकता है। उसे योग और प्राणायाम के साथ साथ संतुलित आहार लेना चाहिए।
प्रतिस्पर्धा के इस युग में प्रत्येक व्यक्ति को इस सत्य को स्वीकार करना आवश्यक है की जीवन में देखे गए सभी स्वप्न साकार नही होते तथा सुख-दुख,जीत-हार दोनो को समान रूप से अपनाने की प्रवृति होनी चाहिए।मशहूर कवि श्री शिवमंगल जी की इन पंक्तियों से प्रेरणा ली जा सकती है
प्रतिस्पर्धा के इस युग में प्रत्येक व्यक्ति को इस सत्य को स्वीकार करना आवश्यक है की जीवन में देखे गए सभी स्वप्न साकार नही होते तथा सुख-दुख,जीत-हार दोनो को समान रूप से अपनाने की प्रवृति होनी चाहिए।मशहूर कवि श्री शिवमंगल जी की इन पंक्तियों से प्रेरणा ली जा सकती है
- क्या हार में क्या जीत में,
- किंचित नहीं भयभीत मैं
- संघर्षपथ पर जो मिले
- यह भी सही, वह भी सही।
-मनुष्य जीवजगत का सर्वश्रेष्ठ प्राणी है जिसके लिए कुछ भी असंभव नही है।जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाइये ताकि अवसाद को आपके जीवन में कोई स्थान न मिले।
-
उमा रानी (स.अ.)
पूर्व मा०वि० हरड़ फतेहपुर
थानाभवन (शामली)
थानाभवन (शामली)
अवसाद: स्वयं बच्चे और औरों को बचाएं
(अंकिता मिश्रा )
अवसाद क्या है?

अवसाद व्यक्ति की वह मानसिक स्थिति होती है जिसमें कि वह हमेशा हर चीज को नकारात्मक दृष्टि से देखता है इसकी कोई निश्चित परिभाषा नहीं है किसी व्यक्ति का उदास होना उसकी अवसाद की स्थिति नहीं होती, अगर वही उदासी एक लंबे समय तक उसके आसपास रहे तो यह अवसाद की स्थिति को जन्म दे देती है यहां सबसे बड़ा दायित्व उस व्यक्ति के आसपास के लोगों का बन जाता है कि वह इस स्थिति को पहचाने। हमारे भारतीय समाज में हम शारीरिक विकार या शारीरिक परेशानियों को बहुत ऊपर रखते हैं लेकिन मानसिक बीमारी या मानसिक परेशानी जो होती है उसको लेकर हम बात भी नहीं करते हैं बल्कि उसे यह एहसास दिलाते रहने का प्रयास करते हैं कि तुम चिड़चिडे हो या तुम गुस्सैल हो।
अवसाद क्यों हो जाता है?
यहां ऐसे अनेकों कारण हो सकते हैं कि किसी व्यक्ति में अवसाद की स्थिति क्यों उत्पन्न हो रही है? जैसे-उसकी नौकरी का चला जाना, आर्थिक संकट से उभर ना पाना, किसी की शादी टूटना, अतिप्रिय व्यक्ति का दूर होना, अपनी जरूरतों के हिसाब से चीजों का ना हो पाना,आसपास का वातावरण आपके अनुकूल ना होना, शारीरिक कमी या समाज के द्वारा पूरी तरह स्वीकार न किया जाना, परीक्षाओं में कम अंक लाना या फेल हो जाना, आपके आसपास के लोगों की आप से अधिक अपेक्षा रखना। यहाँ कुछ मेडिकल कारण ऐसे भी हो सकते हैं कि किसी दवाई या किसी दवाओं के साइड इफेक्ट्स की वजह से खासतौर पर जो ब्लड प्रेशर की दवाइयां हैं जिनसे अवसाद की स्थिति जन्म ले लेती है | यह ज्यादातर ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने का काम करते हैं कभी-कभी यह इतना धीरे-धीरे असर करती है कि हम जान ही नहीं पाते कि अवसाद के शिकार हो रहे हैं |
अवसाद कभी भी किसी खास व्यक्ति को या लिंग को और लोगों को देखकर नहीं आता बहुत से व्यक्ति ऐसे होते हैं जो जीवन की कठिनाइयों में जल्दी ही निराश होने लगते हैं और ऐसे व्यक्तियों में अवसाद की स्थिति आने की संभावना और भी ज्यादा हो जाती है।
आज जो पीढ़ी कल का निर्माण करने के लिए आ रही है उन्हें हम मानसिक रूप से मजबूत बनाएं यह दायित्व हर अभिभावक और एक शिक्षक का होता है हमेशा यह याद रखने वाली बात है कि कोई भी चीज स्थाई नहीं होती चाहे वह सुख हो चाहे दुख। सुख तो इंसान काट लेता है
लेकिन दुख में इंसान जल्दी ही हार मान लेता है और यही कारण है कि आदमी दुख को काट नहीं पाता।
आज जो पीढ़ी कल का निर्माण करने के लिए आ रही है उन्हें हम मानसिक रूप से मजबूत बनाएं यह दायित्व हर अभिभावक और एक शिक्षक का होता है हमेशा यह याद रखने वाली बात है कि कोई भी चीज स्थाई नहीं होती चाहे वह सुख हो चाहे दुख। सुख तो इंसान काट लेता है
लेकिन दुख में इंसान जल्दी ही हार मान लेता है और यही कारण है कि आदमी दुख को काट नहीं पाता।
अवसाद ग्रस्त व्यक्ति की पहचान कैसे करें? डब्ल्यूएचओ( विश्व स्वास्थ्य संगठन) के अनुसार दुनिया भर में अवसाद सबसे आम बीमारी है और करीब 350 मिलियन लोग अवसाद से ग्रस्त हैं यह वह आंकड़े हैं जो दर्ज हैं यह आंकड़े और भी कहीं ज्यादा है।
अवसाद मन से मस्तिष्क तक की वह स्थिति होती है जिसमें व्यक्ति लंबे समय तक करीब 6 से 8 महीने तक जूझता रहता है इसमें किसी भी कार्य में व्यक्ति रुचि नहीं लेता है भले ही वह रोजमर्रा के कार्य जैसे नहाना, खाना खाना, सोना किसी से बातें करना ही क्यों ना हो।
जैसे किसी भी व्यक्ति का बार-बार मूड बदलना, जल्दी जल्दी गुस्सा होना, बात बात में उत्तेजित हो जाना, अकेले में रहकर डरना, हमेशा कुछ अनहोनी की आशंका मन में बनी रहना और खुद को हमेशा लाचार निराश और भीड़ में भी अकेला महसूस करना। यह वह सामान्य लक्षण है जो एक अवसाद ग्रस्त व्यक्ति में पाए जाते हैं। जैसे कि अवसाद के भौतिक कारण, जैविक कारण, अनुवांशिक और मनोवैज्ञानिक कारण हो सकते हैं। कभी-कभी व्यक्ति आत्महत्या जैसे दुर्लभ कदम भी उठा लेता है इसलिए करीबी, परिजन और दोस्तों को अधिक सजग रहने की जरूरत है।
अवसाद से मुक्ति के उपाय: यहां हम भले ही अवसाद से दूर होने के तरीके बता रहे हैं पर सच यह है कि जब तक आप स्वयं इन तरीकों को अपनाने के लिए इच्छुक नहीं होंगे आप पर कोई भी तरीका काम नहीं करेगा जब ट्रेन किसी सुरंग से होकर गुजरती है तो उसमें अंधेरा ही अंधेरा दिखाई देता है लेकिन उसी क्षण हमें एक छोटी सी किरण भी दिखती है और अगर वह समय हमने काट लिया तो फिर वह धीरे-धीरे किरण बड़ी होती जाती है और एक समय ऐसा आता है कि हम उस अंधेरे से बाहर निकल चुके होते हैं। हमें भी अपने जीवन में एक छोटा सा ही लेकिन एक लक्ष्य जरूर बनाना चाहिए और उसके लिए प्रयासरत रहना चाहिए।
अवसाद मन से मस्तिष्क तक की वह स्थिति होती है जिसमें व्यक्ति लंबे समय तक करीब 6 से 8 महीने तक जूझता रहता है इसमें किसी भी कार्य में व्यक्ति रुचि नहीं लेता है भले ही वह रोजमर्रा के कार्य जैसे नहाना, खाना खाना, सोना किसी से बातें करना ही क्यों ना हो।
जैसे किसी भी व्यक्ति का बार-बार मूड बदलना, जल्दी जल्दी गुस्सा होना, बात बात में उत्तेजित हो जाना, अकेले में रहकर डरना, हमेशा कुछ अनहोनी की आशंका मन में बनी रहना और खुद को हमेशा लाचार निराश और भीड़ में भी अकेला महसूस करना। यह वह सामान्य लक्षण है जो एक अवसाद ग्रस्त व्यक्ति में पाए जाते हैं। जैसे कि अवसाद के भौतिक कारण, जैविक कारण, अनुवांशिक और मनोवैज्ञानिक कारण हो सकते हैं। कभी-कभी व्यक्ति आत्महत्या जैसे दुर्लभ कदम भी उठा लेता है इसलिए करीबी, परिजन और दोस्तों को अधिक सजग रहने की जरूरत है।
अवसाद से मुक्ति के उपाय: यहां हम भले ही अवसाद से दूर होने के तरीके बता रहे हैं पर सच यह है कि जब तक आप स्वयं इन तरीकों को अपनाने के लिए इच्छुक नहीं होंगे आप पर कोई भी तरीका काम नहीं करेगा जब ट्रेन किसी सुरंग से होकर गुजरती है तो उसमें अंधेरा ही अंधेरा दिखाई देता है लेकिन उसी क्षण हमें एक छोटी सी किरण भी दिखती है और अगर वह समय हमने काट लिया तो फिर वह धीरे-धीरे किरण बड़ी होती जाती है और एक समय ऐसा आता है कि हम उस अंधेरे से बाहर निकल चुके होते हैं। हमें भी अपने जीवन में एक छोटा सा ही लेकिन एक लक्ष्य जरूर बनाना चाहिए और उसके लिए प्रयासरत रहना चाहिए।
मानसिक स्वास्थ्य को हमेशा शारीरिक स्वास्थ्य ज्यादा अहमियत दे सामाजिक जीवन में सक्रिय रहे खुद से नीचे के लोगों को हमेशा देखें। अपने परिजनों और अच्छे मित्रों से संपर्क हमेशा बनाए रखें। नकारात्मक विचारों वाले व्यक्ति से यथासंभव दूरी बनाए।
कुछ नया सीखने के लिए बाहर जाए। चिकित्सक से परामर्श लें। योग, व्यायाम, नित्य, गायन, पेंटिंग लेखन जिन चीजों में भी आपकी रूचि हो उसमें हमेशा सक्रिय रहने का प्रयास करते रहें।
अकेले रहने से बचें। हल्की फुल्की मनोरंजन वाले कार्यक्रम को देखे। हंसने और हंसाने की कोशिश करें। जहां हमें यह याद रखना चाहिए कि कोई भी वस्तु या सपने इतने बड़े नहीं हो सकते कि उनके बिना जिया ना जा सके। असफलता को भी स्वीकार करने की उतनी ही जरूरत है जितनी की सफलता को अति महत्वकांक्षी होने से बचना चाहिए किसी व्यक्ति से इतनी उम्मीद नहीं रखनी चाहिए कि वह आपके मृत्यु का कारण बने जीवन अनमोल है इसकी कदर करें खुशियां लुटाए और दुख को बांटे। अवसाद की स्थिति हर एक व्यक्ति में आज के युग में है क्योंकि आज हमारी जीवनशैली बहुत ही ज्यादा महत्वकांक्षी हो गई है जरूरत है तो उसे संयमित करने की सपनों की कोई रिटायरमेंट नहीं होती है जब तक जीवन है सपने देखें और खुश रहे ।
अंकिता मिश्रा
विज्ञान शिक्षिका
जनपद- गोंडा