प्रकृति देखो हमसे कुछ कहना चाहती
कैसे वैन, उपवन लहराते,
कैसे झरने, समुद्र लहराते |
कैसे प्रकृति के रंग निराले,
कैसे तुम अचम्भित हो जाते ?
ये सब मेरा अस्तित्व है प्यारे |
कैसे बादल पानी बरसाते,
कैसे नदियाँ है लहराती |
कैसे उफनता समुद्र है,
कैसे कहीं शान्त सरोवर है |
कैसे तुम सोच में पड़ जाते ?
ये सब मेरा अस्तित्व है प्यारे |
कैसे सूरज, चाँद, तारे चमकते,
कैसे आँधी, तूफ़ान हैं आते |
कैसे पशु-पक्षी, क्रियाएँ करते,
कैसे जीवन-मरण हैं होते |
कैसे तुम इनसे घबराते ?
ये सब मेरा अस्तित्व है प्यारे |
फिर क्यों मेरा दोहन करते,
क्यों विकास को विकार बनाते |
क्यों इन्सान खुद को सर्वश्रेष्ठ समझे,
क्यों प्रकृति को नष्ट हा करते ?
इन सबसे तुम ही प्रभावित होते,
ये सब मेरा अस्तित्व है प्यारे |
कु० प्रिया (स०अ०)
प्रा०वि० जसाला-2
कान्धला (शामली)