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सृजन समूह शामली, उत्तर प्रदेश

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शनिवार, 9 मई 2020

प्रकृति कुछ कहना चाहती




           

प्रकृति देखो हमसे कुछ कहना चाहती

कैसे वैन, उपवन लहराते,

कैसे झरने, समुद्र लहराते |

कैसे प्रकृति के रंग निराले,

कैसे तुम अचम्भित हो जाते ?

ये सब मेरा अस्तित्व है प्यारे |



कैसे बादल पानी बरसाते,

कैसे नदियाँ है लहराती |

कैसे उफनता समुद्र है,

कैसे कहीं शान्त सरोवर है |

कैसे तुम सोच में पड़ जाते ?

ये सब मेरा अस्तित्व है प्यारे |



कैसे सूरज, चाँद, तारे चमकते,

कैसे आँधी, तूफ़ान हैं आते |

कैसे पशु-पक्षी, क्रियाएँ करते,

कैसे जीवन-मरण हैं होते |

कैसे तुम इनसे घबराते ?

ये सब मेरा अस्तित्व है प्यारे |


फिर क्यों मेरा दोहन करते,

क्यों विकास को विकार बनाते |

क्यों इन्सान खुद को सर्वश्रेष्ठ समझे,

क्यों प्रकृति को नष्ट हा करते ?

इन सबसे तुम ही प्रभावित होते,

ये सब मेरा अस्तित्व है प्यारे |



कु० प्रिया (स०अ०)

प्रा०वि० जसाला-2

कान्धला (शामली)




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