तब की बात है जब मैं कक्षा सात का विद्यार्थी था | एक दिन कक्षा में हमें रेडक्रॉस संस्था के विषय में विस्तार से जानकारी दी गयी | उस दिन हमने सर हेनरी ड्युना द्वारा मानवता के लिए किये गये कार्यों के विषय में जाना | हमें बताया गया कि दुनिया में कभी कोई ‘फ्लोरेन्स नाइटिंगेल’ नाम की सुन्दर और दयावान लड़की भी जन्मी थीं जिनके लिए दर्द से कराह रहे मनुष्य की सेवा करना ही ईश्वर की सेवा करने जैसा था | हमें निर्देश मिले कि हमें इन लोगों के महान कार्यों के विषय में और अधिक जानकारी हासिल करनी है | साथ ही कुछ अन्य चीज़ों का प्रशिक्षण भी प्राप्त करना है | और यह सब जनपद स्तर पर होने वाली 'सेंट जॉन एम्बुलेन्स' एवं रेडक्रॉस प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग करने के लिए था |
अगले दिन से हमारा प्रशिक्षण प्रारम्भ हुआ | प्रतियोगिता के विभिन्न अंगो को ध्यान में रखते हुए कई तरह के प्रशिक्षण दिए गये जैसे - आग में फँसे लोगों को निकालना, घायलों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाना, विभिन्न स्थानों पर होने वाले घाव की की जाने वाली विभिन्न प्रकार की
पट्टियां बाँधना, हड्डी टूट जाने पर डॉक्टर तक पहुँचने से पहले सही तरीके से बाँस की खपच्चियों से बाँधना, विभिन्न बीमारियों की पहचान, उनके कारण और उनसे बचाव के तरीके इसके अलावा किसी दिए गये प्रकरण पर त्वरित रूप सी पोस्टर बनाना और मॉडल बनाना | इन सबके साथ ही कुछ साँस्कृतिक कार्यक्रमों की तैयारी भी करायी गयी | फिर एक दिन दो टीमों का गठन किया गया | एक टीम 'सेंट जॉन एम्बुलेन्स' प्रतियोगिता के लिए और दूसरी 'रेडक्रॉस' प्रतियोगिता के लिए | मेरा चयन दोनों ही टीमों में हुआ था | मैंने काफी मन लगाकर सभी चीज़ों का सीखा था | चित्रकारी भी मैं अच्छी कर लेता था | मैंने 'फ्लोरेन्स नाइटिंगेल' का बड़ा सा पोस्टर बनाया था जिसमें वो रात के हाथ में लैंप लेकर जाती हुई दिखायी दे रहीं थीं | सभी ने मेरे चित्रकारी को बहुत सराहा था | मेरे लिए सबसे मुश्किल था साँस्कृतिक कार्यक्रम | गाना बजाना न तो उस समय मेरे बस की बात थी और न ही अब | लेकिन फिर फिर समूहगान में खड़े होने के लिए मज़बूरी में हाँ करनी पड़ी | एक लघुनाटिका में एक दयालु लड़के भी भूमिका भी मुझे करने के लिए दी गयी |
और फिर एक दिन हम अपना साजो सामान लेकर जनपद मुख्यालय पहुँचे | वहाँ एक प्राथमिक विद्यालय में हमारे ठहरने का प्रबन्ध किया गया था | कुछ विद्यालय हमसे पहले पहुँच गये थे कुछ हमारे बाद पहुँचे | प्रतियोगिता का आयोजन राजकीय इन्टर कॉलेज में किया था | हमारी मेहनत रंग लायी | कई दिनों तक चले उस प्रतियोगिता कार्यक्रम के बाद जब परिणाम घोषित हुए तो हमारी ख़ुशी का ठिकाना न था | रेडक्रॉस में हम प्रथम स्थान पर रहे तो सेंट जॉन एम्बुलेन्स में द्वितीय |
इसके पश्चात् मण्डल स्तरीय प्रतियोगिताओं का आयोजन हुआ जिसमें हम राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में प्रतिभाग करने के लिए चयनित घोषित किये गये |
जीवन की पहली ही प्रतियोगिताओं में पुरस्कार और प्रमाण-पत्रों के मिलने की ख़ुशी तो थी ही साथ ही इन प्रतियोगिताओं के बहाने जो कुछ सीखने को मिला वो कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण था | तब की सीखीं बातें जीवन में समय-समय पर काम आ ही जाती हैं |
-जय कुमार