चतुराई काम ना आयी

सृजन

    
              राजीव के सब्जी मंडी में आते ही अचानक सब्जी बेचने वालों के बीच में खलबली मच गई। काफी समय से राजीव सब्जी मंडी आता है और हर सब्जी खरीदने में कुछ ना कुछ बहस बाजी करता ही रहता है। उसे देखकर अब सब्जी वाले समझ गए हैं कि इसे कितने भी रेट बता दो वह हमेशा आधे रेटो में ही सब्जी खरीदने की बात करता है।इसी का इलाज ढूंढने में सभी सब्जी वाले परेशान हैं।
अपनी दुकानदारी तो सभी को करनी है इसलिए राजीव का स्वागत सभी सब्जी वाले करते हैं। लेकिन आज कुछ ऐसा हुआ राजीव एक दुकानदार के हाथों फस गया। आलू वाले के पास पहुंच कर राजीव ने आलू का रेट पूछा। बाबूजी ₹25 किलो, अपनी आदत के अनुसार राजीव बोला, यार तुम तो बहुत महंगा लगाते हो अभी पीछे ही मैंने पता किया था तो उस दुकानदार ने ₹20 बताया। उसी बहस के दौरान राजीव को एक फोन आया।राजीव एक बिजनेसमैन है और उसके किसी ग्राहक का फोन आया था।
बातचीत से ऐसा लग रहा रहा कि जो उससे बात कर रहा है वो किसी केमिकल के बारे में पूछ रहा था। राजीव ने उसको अपने हिसाब से रेट बताया ₹100 किलो। सामने वाले ने शायद कुछ कम रेट देने के लिए कहा होगा और इसी बात पर राजीव की और उससे फोन पर बात कर रहे व्यक्ति से बहसबाजी हो गयी। राजीव ने उस फ़ोन पर बात कर रहे व्यक्ति से कहा कि ₹80 में एक किलो अगर बेचने लगूँगा तो मैं तो बर्बाद हो जाऊंगा आप कहीं और से ले लीजिए सभी लोग अपने ही भाई है और फोन रख दिया।
एक बार फिर से वो उसी सब्जी वाले से बहस करने लगा कि वो दूसरा दुकानदार तो ₹20 किलो दे रहा है। सब्जी वाले ने हंसते हुए सर अगर ऐसे सब्जी भेजूंगा तो मैं तो बर्बाद हो जाऊंगा। आप उसी से ले लीजिए यहां बाजार में सभी अपने ही भाई है मैं समझूँगा मैंने ही आपको आलू बेचा है। राजीव उसके इस तरीके के व्यवहार को समझ गया और चुपचाप वहां से चला गया और उसके बाद राजीव जब भी वहां सब्जी लेने आया उसने कभी किसी से बहसबाजी नहीं की ।

                                                                                                        नीरज त्यागी
                                                                                              ग़ाज़ियाबाद ( उत्तर प्रदेश ).

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