.

सृजन समूह शामली, उत्तर प्रदेश

नवीनतम

शनिवार, 9 मई 2020

ऑनलाइन शिक्षा : आवश्यकता और सार्थकता



ऑनलाइन शिक्षा : आवश्यकता और सार्थकता

(अंकिता मिश्रा)
  जब से कंप्यूटर और इंटरनेट का आविष्कार हुआ है तब से कोई ना कोई प्रयोग इन्हें लेकर चलते ही आ रहे हैं इसमें भी कोई दो राय नहीं कि करीब करीब यह सारे प्रयोग सफल हुए।

पहले के समय में दूरस्थ शिक्षा प्रणाली एक बेहतर विकल्प के रूप में थी और आज भी चल रही है पर प्राथमिक और जूनियर या विद्यालय स्तर पर दूरस्थ शिक्षा प्रणाली जैसा विकल्प नहीं था जिसकी कमी आज ऑनलाइन शिक्षण से पूरी की जा सकती है वर्तमान में करीब करीब हर प्रकार के कोर्स और डिग्री ऑनलाइन शिक्षा से जुड़ चुके है निसंदेह इसकी आवश्यकता भी है और सार्थकता भी इससे एक वर्ग के छूटने की संभावना है वह है गरीब तबके के बच्चे यहां हम ऑनलाइन शिक्षण पद्धति की हानि और लाभ दोनों के बारे में विचार कर रहे हैं जैसे वाहन शुल्क नहीं लगेगा, यात्रा में जाने वाले समय बचेगा, एकाग्रता रहेगी, ऑडियो विजुअल लर्निंग प्रभावशाली रहेगा, धन का व्यय कम होगा। इसके साथ ही साथ बच्चे सामूहिक रूप से मित्रता,  मिल जुल कर रहना,  खेल प्रतियोगिता,  सांस्कृतिक कार्यक्रम और सामाजिक परिवेश में ढलने की प्रवृत्ति,  गुरु या शिक्षक का आदर सम्मान की प्रवृत्ति, देश दुनिया से जुड़ने जैसी चीजों से वंचित रह सकते हैं।विद्यालय स्तर पर एक प्रार्थना सभा का होना बच्चों का एक प्रकार के गणवेश में आना उनमें अनुशासन लाता हैं वर्तमान में इसे स्वीकार करने में हम भारतीयों को दिक्कत आ सकती है पर भविष्य मे यह शिक्षण पद्धति कारगर साबित होगी इसमें कोई
दो राय नहीं गीता का सार है कि परिवर्तन ही संसार का नियम है जो जीवित है जो सक्रिय है परिवर्तन करेगा अतः हमें इसे स्वीकारने और अपनाने की जरूरत है|
  आज जैसे प्रकृति की मार हम पर पड़ी है (
covid-19)जिसमें इंसान घरों में कैद है बाहर गाड़िया नहीं चल रही है, स्कूल कॉलेज बंद पड़े है और बिन मौसम बारिश ओले तूफान आ रहे है जिसे देखकर लगता है ऑनलाइन या डिजिटल पढ़ाई हमारी आवश्यकता है वर्तमान में मज़बूरी भी हर परिस्थिति के लिए तैयार रहना मानव का धर्म है।


       
 अकिंता मिश्रा
       सहायक अध्यापिका

  जूनियर हाई स्कूल कटरा बाज़ार गोण्डा


आनलाईन शिक्षा: आवश्यकता और सार्थकता

(पुष्पेन्द्र कुमार गोस्वामी)

  कोविड-19 नामक वायरस से उत्पन्न कोरोना महामारी का सामना
पूरी दुनिया कर रही है ।इस समय लाक डाऊन को ही इससे लड़ने का सर्वश्रेष्ठ उपाय माना गया है ।ऐसे समय में जब स्कूल, कालेज,व्यवसायिक शिक्षा संस्थाएं बंद हैं । शिक्षा को सुचारू रूप से चलाने के लिए ऐसे समय आनलाईन शिक्षा की भूमिका बहुत ही महत्त्वपूर्ण हो गई है । कोरोना संकट के चलते उत्तर प्रदेश सरकार ने बच्चों की शिक्षा बाधित न हो,स्कूलों में शिक्षकों को आन लाईन शिक्षा देने का आदेश दिया है ।

शिक्षकों ने सरकार की इस व्यवस्था को मानकर अपने स्तर से सभी जिलों में आन लाईन शिक्षा देना शुरू किया हुआ है । शिक्षा में परिवर्तन का दौर हमेशा चलता रहता है ।सामाजिक परिवेश में परिवर्तन के कारण शिक्षा में परिवर्तन आवश्यक हो जाता है । कोरोना महामारी का सामना करने के लिए आवश्यक है कि स्वास्थ्य और शिक्षा की गति धीमी न हो,इसके लिए हम शिक्षकों को जो भी उचित उपाय अपनाने की आवश्यकता हो तो उन उपायों को अपनाकर शिक्षा का सिलसिला निरंतर आगे ही बढ़ाना चाहिए । आज के बच्चे कल के जिम्मेदार भावी नागरिक बने इसके लिए शिक्षा और शिक्षक की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है ।ऐसे विपत्ति के समय में जब सामाजिक दूरी बनाये रखना आवश्यक है तो शिक्षा को सुचारू रूप से चलाना एक चुनौती बन गया है, तो देश के शिक्षकों को आन लाईन शिक्षा की प्रक्रिया का हिस्सा बनना एक प्रशंसनीय पहल है । आन लाईन शिक्षा प्रणाली के अंतर्गत घर के बंद कमरों में बैठकर कोर्स को टाईम टेबल के हिसाब से पूरा कराया जा रहा है । बच्चें सीख रहे हैं । स्कूली शिक्षा का स्थान आन लाईन शिक्षा नहीं ले सकती है । वीडियो लेक्चर, असाइनमेंट के साथ स्पेशल क्लास चलायी जा रही है |
     नालेज और तकनीकी प्रक्रिया से बच्चों को शिक्षा दी जा रही है ।लर्निंग एक ऐसा प्रोसेस है जिसका रुक जाना सही नहीं है । पिछ्ले एक महीने से आन लाईन शिक्षा की उपयोगिता सार्थक हो रही है । बच्चें आन लाईन शिक्षा में रुचि ले रहे हैं ।घर बैठे ही बच्चें अपने शिक्षकों से शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं,बस उन्हें सहयोग देने की आवश्यकता है । इस पूरी प्रक्रिया में कुछ सुधार की आवश्यकता भी है, क्योंकि इस प्रक्रिया का लाभ शत प्रतिशत बच्चों को नहीं मिल पा रहा है ।सारे ग्रामीणों के पास स्मार्ट फोन नहीं है । इन्टरनेट कनेक्शन भी सभी के पास अभी तक नहीं है । गांव में नेटवर्क की भी समस्या है ।नेट की स्पीड भी धीमी है । शिक्षाविभाग की ओर से दीक्षा ऐप्प पर पुस्तकें और लर्निंग मैटिरियल उपलब्ध है दूरदर्शन व आकाशवाणी पर भी कोर्स से संबंधित कार्यक्रम प्रसारित हो रहे हैं । यू ट्यूब,ट्वीटर,फेसबुक,व्हाटस एप्प आदि पर लर्निंग मैटिरियल दिया जा रहा है डेटा की खपत बढ़ रही है ।डाऊनलोडिंग की स्पीड कम हो रही है ।ऐसी तमाम बाधाओं का विकल्प खोजकर ज्यादा से ज्यादा बच्चों को इस प्रक्रिया से जोड़ा जाना चाहिए । आशा करता हूँ कि बच्चें इस मुसीबत के समय तनाव और घबराहट के स्थान पर चुनौती का सामना साहस से करना सीखेगे।सीखने की कोई उम्र नहीं होती और सीखा हुआ ज्ञान कभी विफल नहीं होता ।



पुष्पेन्द्र कुमार गोस्वामी

प्र०अ०, पूर्व०मा०वि० अजीजपुर

  शामली



ऑनलाइन शिक्षा: आवश्यकता एवं सार्थकता

(अलका शर्मा)



आज कोरोना वायरस महामारी केकारण समस्त संसार लोकडाउन के दौर
से गुजर रहा है। विश्व की समस्त आर्थिक, व्यापारिक, शैक्षिक गतिविधियों को विराम लग गया है। बच्चों की पढाई का अधिक नुकसान न हो, इसके लिए सब ओर ऑनलाइन शिक्षा पर जोर दिया जा रहा है। शिक्षा शब्द शिक्ष् धातु से बना है जिसका अर्थ है सीखना और सिखाना। जब यह कार्य इन्टरनेट के माध्यम से हो तो ऑनलाइन शिक्षा कहलाती है। ऑनलाइन शिक्षा सभी प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक समर्थित शिक्षा और अध्यापन है।यह कम्प्यूटर आधारित प्रशिक्षा, इन्टरनेट आधारित प्रशिक्षा, वेब आधारित प्रशिक्षा है। यह ज्ञान एवं कौशल का कम्प्यूटर एवं नेटवर्क समर्थित अन्तरण है।इसमें पाठ्यसामग्री का वितरण भी इन्टरनेट के माध्यम से ही होता है। आज जब सब लोग लोकडाउन की परिस्थिति में रह रहे हैं तो ऑनलाइन शिक्षा एक बेहतर विकल्प के रूप में हमारे सामने आया है।ऑनलाइन और खुले सूचना पोर्टल कहीं भी और
कभी भी सर्वसुलभ है। यह व्याख्यान, ऑडियो वीडियो को हमारे सामने ऐसे प्रस्तुत कर रहा है कि विभिन्न पाठ्यक्रमों की जानकारी हमें आसानी से प्राप्त हो रही है।कभी भी कहीं भी कोई परेशानी हो तुरंत हम उसका हल ढूंढ रहे हैं। प्रभावी ऑनलाइन शिक्षण वातावरण छात्रों को सीखने के उच्च स्तर की ओर अग्रसारित करते हैं। सक्रिय छात्र भागीदारी को बढावा मिलता है। ऑनलाइन शिक्षा लचीली एवं सुविधाजनक है।इसमें कोई कहीं भी और कभी भी पढ सकता है। इससे नवीन तकनीक का ज्ञान प्राप्त होता है।विश्व में आप किसी भी विषय पर कुशल विशेषज्ञ की सलाह ले सकते हैं। परन्तु भारत जैसे विकासशील देश में अभी यह उतनी उन्नति नहीं करपाया है जितनी विकसित देशों में। वैसे तो हमारे यहां भी ऑनलाइन कक्षाएं प्रारंभ हो गई है। परंतु शिक्षक एवं छात्र सभी बहुत सारी परेशानियों से जूझ रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी बहुत पिछडापन है। सभी बच्चों के माता पिता के पास एंड्रॉयड फोन नहीं है। यदि कुछ के पास है भी तो नेटवर्क प्रॉब्लम है। जो एक शिक्षक पढाना चाहता है वह चाहकर भी उन बच्चों को समझा नहीं पाते है। माता पिता खेतिहर मजदूर है जो फोन लेकर खेतों में चले जाते है।बच्चों को फोन उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं। अतः बेसिक शिक्षा विभाग में ऑनलाइन शिक्षा कराना एक चुनौती पूर्ण कार्य बन गया है।



                                                                    अलका शर्मा                                          
कैराना, शामली











सर्वाधिक लोकप्रिय