सबला (अप्रैल 2020)

सृजन


सीमा समृद्धि
पूरा नाम: सीमा समृद्धि कुशवाहा

जन्मस्थान: इटावा, उत्तर प्रदेश
वर्तमान निवास: दिल्ली
प्राथमिक शिक्षा: कलावती रामप्यारी स्कूल, लखना
उच्च शिक्षा: डी०ए०वी० कॉलेज कानपुर, दिल्ली विश्वविद्यालय
व्य्वासयास: अधिवक्ता, उच्चतम न्यायालय
सीमा के परिवार में कुल सात भाई व बहन हैं। सीमा सबसे छोटी हैं। सीमा ने बचपन से ही अभावों और संघर्ष की भट्टी में तपकर निखरना सीखा। पढ़ाई को लेकर सीमा के मन में गहरी ललक थी। मुश्किल हालात के बीच उन्‍होंने पढ़ाई पूरी की। उनकी आरंभिक शिक्षा ग्रामीण क्षेत्र में हुई। लखना कस्‍बे के कलावती रामप्‍यारी स्‍कूल से निकलने के बाद उन्‍होंने इंटर की पढ़ाई की। संविदा शिक्षक की नौकरी की | अजितमल पीजी कॉलेज से निकलने के बाद सीमा ने कानपुर के डीएवी कॉलेज से कानून की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद कुछ समय के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में भी प्रयास किया। आर्थिक परेशानी के चलते उन्‍होंने प्रौढ़ शिक्षा विभाग में संविदा शिक्षक की नौकरी भी की। वर्ष 2012 में सीमा ने सुप्रीम कोर्ट का रूख किया। लॉ के अलावा उन्‍होंने मॉस कम्‍युनिकेशन की भी पढ़ाई की।
जहां तक सीमा के निजी करियर की बात है, वह वकालत को प्राथमिकता नहीं देती थीं। वे आईएएस बनना चाहती थीं। इसके लिए उन्‍होंने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी भी की थी। लेकिन हालात ऐसे बदले कि उन्‍होंने वकालत के रूप में करियर की शुरुआत की। दिसंबर 2012 में जब निर्भया के साथ दरिंदगी की हदें पार करने वाली वारदात हुई, उस दौर में सीमा अपने ट्रेनिंग पीरियड में थीं। इस घटना के बारे में जब उन्‍हें पता लगा तो उन्‍होंने यह तय कर लिया था कि वे यह केस लड़ेंगी और इसके लिए कोई फीस नहीं लेंगी। उनके वकालत के करियर का यह पहला ही केस था। इसमें उन्‍होंने अपनी पूरी ताकत झोंक दी। इन्‍होंने निर्भया के अभिभावकों की तरफ से कोर्ट में सिलसिलेवार दलीलें रखीं। कोर्ट में वे हमेशा निर्भया के मां-बाप के साथ बनी रहीं और उनके सुख व दुख में भागीदारी रहीं। वर्ष 2014 में सीमा ने ज्योति लीगल ट्रस्‍ट ज्‍वाइन किया था जो कि दुष्‍कर्म पीडि़ताओं के लिए निशुल्‍क कोर्ट केस लड़ने का काम करता है।  निर्भया केस के संबंध में वे बताती हैं कि इस केस की तैयारी करना, इसे लड़ना शुरू से ही बड़े चैलेंज से कम नहीं रहा। वह सात साल से निर्भया के माता-पिता के साथ लगातार संपर्क में थीं, इसके चलते उनका दोनों से एक प्रकार से भावनात्‍मक नाता भी जुड़ गया। निर्भया की मां आशा देवी और पिता बद्रीनाथ सिंह भी सीमा की लगन को मानते हैं। आज सुबह फांसी के बाद दोनों से सबसे पहले सीमा का शुक्रिया अदा किया। उनका कहना है कि सीमा के अनथक प्रयासों के बिना इस इंसाफ की लड़ाई को जीत पाना नामुमकिन था।

साभार: www.naidunia.com/




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