
गौरतलब हो की राज्यों की फोर्स में महिलाओं की भागीदारी और संख्या में बढ़ोतरी दोनों ही तेजी से बढ़ रही है भारत में महिलाओं ने १९९०के दशक में आर्मी में जाना शुरू किया, लेकिन अब तक यह आंकड़ा करीब १,७१० एयरफोर्स में, १६७१ करीब आर्मी में और ५००के करीब ही नौसेना में पहुंचा है( यह आंकड़े कुछ कम ज्यादा हो सकते हैं) पर युद्ध स्तर पर सेना की भर्तियों में महिलाओं की भागीदारी पहले नगण्य थी और आज कम। मेरा व्यक्तिगत तौर पर यह मानना है कि जो भी व्यक्ति जिस पद के योग्य हो और उस पद की अर्हता रखता हो तो उसे बिना किसी भेदभाव के चाहें वो किसी भी लिंग या जाति का हो देना चाहिए ।
इंडियन एयरफोर्स में इस वक्त करीब 100 महिला पायलट हैं। महिलाओं को हेलिकॉप्टर और ट्रांसपॉर्ट एयरक्राफ्ट उड़ाने की ही अनुमति है। नेवी में महिलाओं का पहला बैच इस वक्त ट्रेनिंग प्रक्रिया में है। उम्मीद है आगे की स्थिति में और भी ज्यादा सुधार होगा।
बहुत से देशों में युद्ध ऑपरेशन में महिलाओं की भागीदारी का प्रावधान है, लेकिन ज्यादातर उन्हें इससे दूर ही रखा जाता है। महिला फायटर पायलट भी अमेरिका , यूके, रूस, इजरायल, तुर्की और पाकिस्तान जैसे देशों में हैं। मलेशिया, श्री लंका और बांग्लादेश जैसे देश वॉरशिप में महिलाओं को भेजते हैं और अमेरिका में तो न्यूक्लियर मिसाइल सबमरींस पर भी महिलाओं की नियुक्ति होती है। भावना कन्त भारत की प्रथम महिला फायटर पायलट हैं फिर हमें क्या आपत्ति हो सकती है ?इसलिए महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित होना चाहिए खास तौर पर आज के समय में जहाँ महिलाएँ पढ़ भी रही हैं और बढ़ भी रहीं हैं वहीं दूसरी तरफ एक बहुत बड़ी संख्या में महिलाओं के खिलाफ अपराध जो कि हिंसक और जघन्य है तेजी से बढ़ रहे हैं यह निश्चित रूप से इशारा करता है कि सशस्त्र सेना में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जाए जिससे उनका ही नहीं बल्कि सभी महिलाओं के हौसलों को पन्ख मिल सके और अपराधिक विचारधारा के लोगों को सबक भी
इंडियन एयरफोर्स में इस वक्त करीब 100 महिला पायलट हैं। महिलाओं को हेलिकॉप्टर और ट्रांसपॉर्ट एयरक्राफ्ट उड़ाने की ही अनुमति है। नेवी में महिलाओं का पहला बैच इस वक्त ट्रेनिंग प्रक्रिया में है। उम्मीद है आगे की स्थिति में और भी ज्यादा सुधार होगा।
बहुत से देशों में युद्ध ऑपरेशन में महिलाओं की भागीदारी का प्रावधान है, लेकिन ज्यादातर उन्हें इससे दूर ही रखा जाता है। महिला फायटर पायलट भी अमेरिका , यूके, रूस, इजरायल, तुर्की और पाकिस्तान जैसे देशों में हैं। मलेशिया, श्री लंका और बांग्लादेश जैसे देश वॉरशिप में महिलाओं को भेजते हैं और अमेरिका में तो न्यूक्लियर मिसाइल सबमरींस पर भी महिलाओं की नियुक्ति होती है। भावना कन्त भारत की प्रथम महिला फायटर पायलट हैं फिर हमें क्या आपत्ति हो सकती है ?इसलिए महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित होना चाहिए खास तौर पर आज के समय में जहाँ महिलाएँ पढ़ भी रही हैं और बढ़ भी रहीं हैं वहीं दूसरी तरफ एक बहुत बड़ी संख्या में महिलाओं के खिलाफ अपराध जो कि हिंसक और जघन्य है तेजी से बढ़ रहे हैं यह निश्चित रूप से इशारा करता है कि सशस्त्र सेना में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जाए जिससे उनका ही नहीं बल्कि सभी महिलाओं के हौसलों को पन्ख मिल सके और अपराधिक विचारधारा के लोगों को सबक भी
अंकिता मिश्रा (स०अ०) जूनियर हाई स्कूल कटरा बाज़ार
जनपद- गोंडा