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सृजन समूह शामली, उत्तर प्रदेश

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रविवार, 1 मार्च 2020

सम्पादकीय (मार्च 2020)

          अपनी बात 


बसन्त ऋतु का आगमन हो गया | वृक्षों पर नयीं-नयीं कोंपलें दिखायी देनें लगी हैं | कुछ ही दिनों में सब पेड़-पौधे नए-नए रँग-बिरँगे पत्तों से लद जायेंगें | प्रकृति में चारो तरफ भीनी खुशबू फैल जायेगी | हमारे विद्यालयों में भी बहुत कुछ नया होगा | विद्यालय भवन पर नया रँग, कक्षा-कक्षों में नयी-नयी सहायक सामग्री | कुछ दिन बाद बच्चे नयी कक्षाओं में होंगें तो कुछ नये बच्चे भी कक्षाओं मी आयेंगें | कहते हैं पीछे मुड़कर नही देखना चाहिए | लेकिन पीछे मुड़कर नही देखेंगें तो हमें अपनी गलतियों का अहसास कैसे होगा ? जो गलतियाँ हम पीछे कर चुके हैं उन पर विचार तो करना ही होगा तभी तो भविष्य में उनसे बच पाएंगें | कुछ बच्चों ने तो वर्षभर मन लगा कर पढाई की होगी लेकिन कुछ ऐसे भी अवश्य होंगें जिन्होनें पढाई में कुछ लापरवाही दिखाई होगी | इस महीने वार्षिक परीक्षा होने जा रही है | इस परीक्षा में सब बच्चों को पता चल जाएगा कि उन्होंने क्या-क्या कमी इस वर्ष छोड़ी है | फिर सब बच्चे संकल्प लेना कि इस वर्ष वे गलतियाँ दोहराईं जाएँ |
शिक्षकों को ‘निष्ठाका प्रशिक्षण दिया जा रहा है | इस निष्ठा के प्रशिक्षण को निष्ठा के साथ ग्रहण करके निष्ठा के साथ कक्षाओं में लागू करने की आवश्यकता है | शुरू में नयी चीज़े विचित्र सी लगती ही हैं लेकिन हमें अपना दृष्टिकोण सकारात्मक रखते हुए नये चीज़ों को आजमाना अवश्य चाहिए | परिणाम अच्छा ही मिलेगा |
आइये होलिका दहन में अपनी सब नकारात्मकता और बुराइयों को भी दहन करें और बसन्त को सुगन्ध को अपने तन-मन और विचारों में भर लें | होली की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ |
                                                
                                                                -जय कुमार

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