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सृजन समूह शामली, उत्तर प्रदेश

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बुधवार, 5 फ़रवरी 2020

काव्यांजलि (फ़रवरी 20)


             जलियांवाला बाग

दिन आया था वह बैसाखी का,
हर्षित होने का, जन मन और पाखी का,

        हुआ एकत्रित जन  सैलाब,
        करने को मन का मेल मिलाप,

आजादी का अलख लिए, सब आए थे हक पाने को,
अनभिज्ञ डायर की मंशा से सब वीर खड़े, अपना भारत अपनाने को,

        हो पाता उन देवों को पहले से तनिक आभास,
        बंदूकों से लैस खड़ी थी क्रूरता की सेना आसपास,

तभी इतिहास की निर्मम घटना जलिया बाग में घट गई,
बदलने को इतिहास तैयार जीवंत रचना, क्षण भर में मिट गई

        उस असीम वेदना की रचना को कलम की स्याही भी करती है इंकार,
        किन शब्दों से करूं वर्णन उस पल पल बढ़ते दुख का चीत्कार,

वीर रस का वातावरण करुण रस में बदल गया,
तीन मिनट में भारत का सजीव चेहरा मिट्टी में पिघल गया,

        सैकड़े से हजार पहुंची जब शहीदों की गिनती,
        क्रूरता ने भी दम तोड़ दिया, जब ना सुनी शिशुओ की भी विनती,

श्रद्धांजलि की शपथ लेकर, शहीदों का सम्मान करो,
स्वतंत्र देश में जीवन है तो उन वीरों पर अभिमान करो!!!
-कनक

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