ना मांगा आसमान,
ना ये धरती मुझे दे दो ।
इज्जत चाहती हूं मैं,
इज्जत चाहती हूं मैं,
एक सम्मान भरी निगाह मुझे दे दो ।
नहीं आशा है दुनिया से,
नहीं आशा है दुनिया से,
मुझे हर शौक मस्ती की ।
नहीं उम्मीद दुनिया से,
नहीं उम्मीद दुनिया से,
मुझे परवाज कर दे ये ।
बेखौफ की भूखी हूं मैं,
बेखौफ की भूखी हूं मैं,
बिना बेड़ियों का घर मुझे दे दो |
इज्जत चाहती हूं मैं,
इज्जत चाहती हूं मैं,
एक सम्मान भरी निगाह मुझे दे दो ।
गम ना करो मैं औरत हूँ,
गम ना करो मैं औरत हूँ,
ना ही सोचो बेगैरत हूँ ।
ना छेड़ो ना परवाह करो,
ना छेड़ो ना परवाह करो,
मेरी हर नादानी की ।
विचारों से भरी हूं मैं,
विचारों से भरी हूं मैं,
कहने की आजादी मुझे दे दो |
इज्जत चाहती हूं मैं,
इज्जत चाहती हूं मैं,
एक सम्मान भरी निगाहों मुझे दे दो।
मैं धूप हूं, मैं छाया भी हूं,
मैं धूप हूं, मैं छाया भी हूं,
कुरूप हूं, सुंदर काया भी हूं ।
तू जैसा है, मैं वैसी हूं,
मै बिल्कुल तेरे जैसी हूं।
पंख टूट गए तेरे तो क्या ?
पंख टूट गए तेरे तो क्या ?
उड़ने का अधिकार मुझे दे दो ।
इज्जत चाहती हूं मैं,
इज्जत चाहती हूं मैं,
एक सम्मान भरी निगाह मुझे दे दो ।
ना यूं बांट मुझे,
ना यूं बांट मुझे,
अपनी इस रंगीन दुनिया से ।
ना भूल तेरे जो रंग है,
ना भूल तेरे जो रंग है,
बिन मेरे सारे भंग है |
सारा जहां नहीं चाहती,
सारा जहां नहीं चाहती,
बस मेरे हक का इंसाफ मुझे दे दो |
इज्जत चाहती हूं मैं,
इज्जत चाहती हूं मैं,
एक सम्मान भरी निगाह मुझे दे दो।
ना सोच के मै कमजोर हूं,
ना सोच के मै कमजोर हूं,
ना सोच के मैं मजबूर हूं ।
बस जान ले इतना,
बस जान ले इतना,
अपने लक्ष्य से अभी दूर हूं ।
उम्मीदों के सागर का,
उम्मीदों के सागर का,
एक मोती मुझे दे दो ।
इज्जत चाहती हूं मैं,
इज्जत चाहती हूं मैं,
एक सम्मान भरी निगाह मुझे दे दो ।।
-कनक