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सृजन समूह शामली, उत्तर प्रदेश

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बुधवार, 1 जनवरी 2020

मेरी पपेट



विषय: सभी विषयो के लिए उपयोगी
कक्षा:  1 से 8 सभी के लिए उपयोगी।
आवश्यक सामग्री: पुरानी दवाईयो की शीशीयां, छोटे प्रयोग किए हुए सैल, बोतलों के ढक्कन, छोट-बड़ी लकड़ी की फट्टियाँ, मोटे धागे व ड़ोरियां, रंगीन चिपकाने वाली टेप, रंगीन कागज, कपड़ो की कतरने, चिपकाने के लिए विशेष पदार्थ इत्यादि।
निर्माण की विधि:   इस पपेट का निर्माण दो भागों में किया जाता है। पहले भाग में इकट्ठा की गयी सामग्रियों की सहायता से एक मनचाही आकृति का निर्माण इस प्रकार करते हैं कि इसके सर, हाथ, पांव आदि भाग आसनी से हिल-डुल सके। आवश्यकतानुसार रंगीन कागज, टेप या कपड़े की कतरनों की सहायता से इस आकृति को सजा लेंगे। दूसरे भाग में इस पपेट को हिलाने- ड़ुलाने के लिए धागे बांधेंगे। अब एक-एक धागा दोनो पैरो से, दोनो हाथो की कलाइयों के पास, दोनो कंधो पर व एक धागा सर के ऊपरी सिरे पर बांध देंगे। इस प्रकार बंधे सातो धागो के दूसरे सिरे या तो एक हाथ की अलग- अलग उंगलियों में बांधने के लिए तैयार कर लेंगे या लकड़ी की पट्टियों से तैयार एक जमा के निशान की आकृति पर विशेष  रूप से बांध देंगे हाथो वाले धागे एक अलग फट्टी के दोनो ओर अलग से बांध देंगे जिससे हाथो का संचालन अधिक सुगमता से किया जा सके। बस हो गयी हमारी हिलती-ड़ुलती पपेट तैयार।
प्रयोग की विधि:  पपेट को चलाने के लिए हमे केवल अपनी उंगलियों को मनचाही दिशा में हिलाना होगा। यदि पट्टियां बंधी हुई है तो पट्टियों को ऊपर नीचे दाये बाये हिलाना होगा। हिलती-ड़ुलती पपेट के साथ

अपनी आवाज देकर यह बिलकुल सजीव लगने लगती है।
प्रयोग क्षेत्र:   पपेट का प्रयोग मनोरंजन के लिए नृत्य कराकर, किसी ड्रामे या नाटक में पात्र के रूप में कर सकते है। इसी के साथ-साथ कक्षा में किसी विषय को पढ़ाने के लिए अपने स्वयं के रूप में अपनी आवाज देकर प्रयोग कर सकते है, सभी बच्चे ध्यानपूर्वक  सचेत होकर बोझिल विषय को भी सुनते व सीखते हैं।
सावधानियां: पपेट का प्रयोग आवश्यकतानुसार ही किया जाये पपेट का प्रयोग करने से पहले पुर्वाभ्यास कर लेना चाहिए। पपेट के धागे आपस में न उलझे इसका विशेष ध्यान रखना चाहिए। धागो की लम्बाई पूरी तरह संतुलित रहनी चाहिए, न तो धागे ज्यादा लम्बे हो और न ही ज्यादा छोटे होने चाहिए।
विशेष:  पपेट के साथ जब बालक कुछ सुनते या देखते है तो उनके एकाग्रता बढ़ जाती है, तो वे अधिक अच्छी तरह सीखते है व कम भूलते है। पपेट एक बार देखने के बाद छात्र दोबारा देखने के लिए भी आतुर रहते है। अपनी कक्षा को पढ़ाने के लिए पपेट का प्रयोग कर हम अपने अध्यापन को और अधिक रूचिकर बना सकते है।

-नवीन कुमार शर्मा (स.अ.)
बालिका पूर्व माध्यमिक विद्यालय,  टपराना


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