अन्तरिक्ष से चाँद पर पहुँच रही बेटियाँ,
विज्ञान हो कला हो चाहे हो कोई प्रतिभा,
हर क्षेत्र मे आज चार चाँद लगा रही बेटियाँ,
कल्पना या हो ऊषा या हो गीता-सुनीता,
मेरे देश का नाम आज चमका रही बेटियाँ,
संगीत का हर राग-धुन,नृत्य का हर ताल,
अभिनय के मंच पर कमाल कर रही बेटियाँ,
जल-थल-नभ की सेना का बनकर हिस्सा,
सीमा पर दुश्मनों को धूल चटा रही बेटियाँ,
न्यायालय-राजनीति-संसद मे प्रतिभाग कर,
शिखर की ऊँचाईयो तक पहुँच रही बेटियाँ,
कभी घर मे माँ-बाप-भाईयों का हाथ बँटाती,
माँ-बाप का बेटा बन जिम्मेदारी निभाती बेटियाँ,
ना जानें कौन सा नाम हैं जो बेटे हैं चलाते,
नाम चलाने के रिवाज मे मारी जाती हैं बेटियाँ,
नादान मनुष्य ना हो बेटी तो कहाँ से लाओगे बेटे
तभी तो आयेंगे बेटे जब सुरक्षित रखोगे बेटियाँ,
दो कुल को रोशन करती मर्यादा मे बँधकर,
मायका और ससुराल का ध्यान रखतीं बेटियाँ,
कभी सावित्रीबाई फुले कभी लक्ष्मीबाई बनकर
हर देश की आन-बान- शान बढाती बेटियाँ,
नीतू सिंह (स.अ.)
क.उ.प्रा.वि.भूरा
कैराना(शामली)