अपनी बात (सम्पादकीय)

सृजन

          किसी अनादि शक्ति द्वारा रचित इस भौतिक जगत में कुछ भी अकारण घटित नही होता | प्रत्येक घटना के पीछे कोई कोई हेतु अवश्य होता है | जैसे अगर कक्षा में कोई बच्चा सीखने में पिछड़ रहा है तो हम सबसे पहले उन कारणों का पता लगाने का प्रयास करते हैं जो बच्चे के अधिगम में बाधक बना हुआ है | उस कारण का निवारण किये बिना हम अपेक्षित फल की अपेक्षा नही कर सकते | चिकित्सक भी कोई उपचार करने से पहले रुग्णता के कारणों का ही पता लगाता है | एक योग्य चिकित्सक रोगी को तब तक कोई औषधि या उपचार नही देता जब तक कि वह रोग के कारण  का पता नही लगा लेता |
हमारा समाज भी रुग्णता से ग्रस्त हो जाया करता है | जैसे किसी समय में सती-प्रथा से ग्रस्त था और तब राजाराम मोहनराय ने इस व्याधि का उपचार बड़े परिश्रम से किया था | इसी भाँति परतन्त्रता, छूआछूत, अशिक्षा और अन्धविश्वास जैसी बीमारियों का समय-समय पर भिन्न-भिन्न महापुरुषों द्वारा उपचार किया जाता रहा है |
आज हमारा समाज फिर से कुछ रोगों द्वारा गम्भीर रूप से ग्रस्त हो चुका है | इनमें प्रमुख रोग है  बालिकाओ के प्रति होने वाले अपराध | निर्मम अत्याचारों से पीड़ित बच्चियों की करुण पुकार भारतमाता के हृदय को झकझोर रही है | क्या अब भी वह समय नही आया कि हम इन अपराधों के पीछे छिपे हुए कारणों का ईमानदारी से पता लगायें और खुले मन से इन कारणों पर विचार करें ? मात्र उपदेश देने से अबोध बच्चियों के प्रति हमारा दायित्व पूरा नही हो जाता | कवि-सम्मलेन हो सकते हैं, विज्ञान पर विचार गोष्ठी हो सकती हैं और शिक्षण पर कार्यशाला आयोजित हो सकती हैं तो  बालिकाओं के प्रति होने वाले अपराधों पर क्यूँ नही ? …………...
जगन्नाथ जी की रथयात्रा के पावन पर्व की सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएँ |
-जयकुमार

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