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सृजन समूह शामली, उत्तर प्रदेश

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शनिवार, 12 मार्च 2022

आया है ऋतुराज वसंत

आया है ऋतुराज वसंत

 लेकर हर्षोल्लास अनंत।

 

 इतराती है धरा सुहानी ,

 चूनर ओढ़े धानी धानी।

 हंस-हंसकर नभ सुना रहा है,

 कोई अमृतमयी कहानी।

 धूप सुनहरी विहस- विहस कर

 करती है सर्दी का अंत ।

आया है ऋतुराज वसंत..।।1।।

 

 कली कली देखो हरषाई ,

 चली मनोहर मृदु पुरवाई।

 शुक-पिक के मधुरिम स्वर सुनकर ,

 विरहिन और अधिक मुरझाई।

 चढ़ता यौवन मदन सताए ,

 और हुआ परदेसी कन्त।

 आया है ऋतुराज वसंत..।।2।।

 

 पशु पक्षी मस्ती में घूमें ,

 भंवरा ज्यों मद पीकर झूमे।

 मंद मंद मुस्काकर सूरज ,

ज्यों धरती का मस्तक चूमे।

 देखो ज्ञानदात्री आई ,

हिय के तम का करने अंत

आया है ऋतुराज वसंत..।।3।।

ऋतु बसंत की  पावन वेला पर ,

 करना है संकल्प यही।

 प्रजातंत्र मजबूत बनाएं ,

 आओ चुने विकल्प सही।

शत प्रतिशत मतदान करें बिन ,

 देखे वर्ण धर्म और पंथ।

आया है ऋतुराज वसंत..।।4।।

 

तरु से गिरते पीले पत्ते ,

 पतझड़ में मैंने देखे हैं।

जैसे दिन जीवन के जाते,

 हम भी तो इनके जैसे हैं।

यही अनोखी रीत जगत की ,

 कहते साधु सिद्ध अरु संत।

 आया है ऋतुराज वसंत..।।5।।

 भगवत पटेल  ‘मुल्क मंजरी’

जिला विद्यालय निरीक्षक जालौन

लखनऊ, उत्तर प्रदेश

 

 

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