लेकर हर्षोल्लास अनंत।
इतराती है धरा सुहानी ,
चूनर ओढ़े धानी धानी।
हंस-हंसकर नभ सुना रहा है,
कोई अमृतमयी कहानी।
धूप सुनहरी विहस- विहस कर
करती है सर्दी का अंत ।
आया है ऋतुराज वसंत..।।1।।
कली कली देखो हरषाई ,
चली मनोहर मृदु पुरवाई।
शुक-पिक के मधुरिम स्वर सुनकर ,
विरहिन और अधिक मुरझाई।
चढ़ता यौवन मदन सताए ,
और हुआ परदेसी कन्त।
आया है ऋतुराज वसंत..।।2।।
पशु पक्षी मस्ती में घूमें ,
भंवरा ज्यों मद पीकर झूमे।
मंद मंद मुस्काकर सूरज ,
ज्यों धरती का मस्तक चूमे।
देखो ज्ञानदात्री आई ,
हिय के तम का करने अंत
आया है ऋतुराज वसंत..।।3।।
ऋतु बसंत की पावन वेला पर ,
करना है संकल्प यही।
प्रजातंत्र मजबूत बनाएं ,
आओ चुने विकल्प सही।
शत प्रतिशत मतदान करें बिन ,
देखे वर्ण धर्म और पंथ।
आया है ऋतुराज वसंत..।।4।।
तरु से गिरते पीले पत्ते ,
पतझड़ में मैंने देखे हैं।
जैसे दिन जीवन के जाते,
हम भी तो इनके जैसे हैं।
यही अनोखी रीत जगत की ,
कहते साधु सिद्ध अरु संत।
आया है ऋतुराज वसंत..।।5।।
भगवत पटेल ‘मुल्क मंजरी’
जिला विद्यालय निरीक्षक जालौन
लखनऊ, उत्तर प्रदेश