गैरों में है कौन अपना यह देख पाऊं,
अपनी शख्सियत को नया नाम दे पाऊं,
अभिलाषाओं का ले सहारा चलना चाहती हूं
पंख नहीं है पर भरना उड़ान चाहती हूं
खाली बैठ ना जिंदगी को अजमाऊंगी
रह भरोसे भाग्य के ना पछताऊंगी
संकल्प कर पथ पर बढ़ना चाहती हूं
पंख नहीं है पर भरना उड़ान चाहती हूं
निषप्राण ने होने दूंगी हौसलों को अपने
अभिमान न बनने दूंगी स्वाभिमान को अपने
अपनी ख्वाहिशों को सही मोड़ देना चाहती हूं
पंख नहीं है पर भरना उड़ान चाहती हूं
न कभी किसी का दिल दुखाऊंगी
जो मिलेगा जीवन में उसे अपनाऊंगी
कैसे भी हो हालात बस संघर्ष करना चाहती हूं
पंख नहीं है पर भरना उड़ान चाहती हूंहै भरोसा कि तुम साथ दोगे
नहीं आंधियों से डर, झुकने दोगे
अभी तो पहली है उड़ान तेरा विश्वास चाहती हूं
पंख नहीं है पर भरना उड़ान चाहती हूं
-संजू तोमर