(सीमा रानी गौड)
लोक डाउन एक आपातकालीन प्रोटोकॉल है। जिस का हिंदी अर्थ है - पूर्णबन्दी । किसी आपातकालीन स्थिति में लोगों की आवाजाही पर रोक लगाने के लिए सरकार द्वारा यह प्रतिबंध लगाया जाता है। जिस शहर या देश में लोकडाउन लगाया जाता है ,वहां से किसी का भी घर से बाहर निकलना एक अपराध होता है। अति आवश्यक कार्य या आपातकालीन स्थिति में ही घर से बाहर निकलने की छूट दी जा सकती है। आज मेरे देश के साथ ही साथ पूरा विश्व भी इस समय कोरोना नामक महामारी से जूझ रहा है। हम और आप सभी मार्च माह के अंतिम सप्ताह से घरों में बैठे हैं और घरों में बैठे रहने की रुके रहने की इस व्यवस्था का नाम ही है -लोकडाउन । लोकडाउन का सबसे पहला मंत्र है stay-at-home. लोकडाउन में हम सभी यहां तक कि देश की संपूर्ण व्यवस्था जहां थी वहीं की वहीं ठहरी हुई है, पूरे विश्व में प्रकृति का ऐसा ठहराव सदियों के बाद देखा गया है।
लोकडाउन में हम सभी अपने अपने घरों में जैसे कैद ही हो गए हो।लोकडाउन से पूर्व हम सभी का जीवन अत्यंत व्यस्त था हम सब अपनी-अपनी जिम्मेदारियों में इतना फंसे हुए थे कि कुछ भी अतिरिक्त करने या सोचने का समय ही नही निकाल पा रहे थे। हमारे यहां भारत देश में प्रथम लोक डाउन 25 मार्च 2020 से 14 अप्रैल2020 तक ,दूसरा लॉकडाउन 15 अप्रैल 2020 से 3 मई 2020 तक, तीसरा 4 मई 2020 से 17 मई 2020 तक व चतुर्थ लाकडाउन 18 मई 2020 से 31 मई 2020 तक घोषित किया गया।लाकडाउन में हम घर से बाहर जाकर कुछ भी करने के लिए स्वतंत्र नहीं होते। हम घर से हाट बाजार नहीं जा सकते हैं, ना ही घूमने,ना ही किसी से मिल सकते हैं, ना ही हम ऑफिस स्कूल और अन्यत्र किसी भी कार्यस्थल पर जा सकते हैं। बस पूरा समय stay at home ही करना होता है । इस लोकडाउन में सबसे विकट परिस्थिति अगर किसी के सामने आती है तो वह है प्रतिदिन की मजदूरी पर कार्य करने वाले मजदूरों को । मजदूर लोग अपने मजदूरी के कार्य के लिए जब घर से नहीं निकल पा रहे हैं और ना ही कोई कार्य उनको मिल पा रहा है तो उनके सामने एक बहुत ही विकट समस्या उत्पन्न हो गई है ।ऐसी स्थिति में उनके समक्ष भोजन और जीवन -यापन की बड़ी परेशानी खड़ी हो गयी है । हालांकि सरकार द्वारा नई नई योजनाओं द्वारा इनकी समस्याओं को दूर करने के अथक प्रयास किए जा रहे है। लोकडाउन में घर से बाहर निकलने के लिए कुछ शर्तें भी हैं कुछ नियम भी है जैसे अगर घर से बाहर निकलना है तो मास्क लगाकर ही निकलना है और सबसे महत्वपूर्ण बाहर जाकर सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ध्यान रखना है निकलने के समय की जो छूट दी गई है वह मात्र 6:00 से 9:30 तक की ही दी गई थी। जिस में भी घर से बाहर केवल व्यस्क लोगों को ही जाने की अनुमति प्राप्त थी ।बच्चे और वृद्धों को बहार जाने की अनुमति प्राप्त नहीं थी। आज लोकडाउन के बावजूद भी स्थिति प्रतिदिन चिंताजनक होती जा रही है इसलिए हम सभी को इस लोक डाउन का पूर्णता पालन करना चाहिए इस लोकडाउन ने हमें बहुत से अवसर भी प्रदान किये हैं । अपनी छिपी प्रतिभाओं को उजागर करने के अवसर हमें मिले हैं ,इस लोकडाउन में बहुत से लोग जो समय की कमी के चलते या व्यस्तता के कारण अपनी बहुत सी प्रतिभाओं को नही निखार पा रहे थे, पूर्ण बंदी ने उन सभी प्रतिभाओं को निखारा है और नवीनता प्रदान की है। कुछ लोगों ने पाक कला में खुद को पारंगत करने का प्रयास किया है । कुछ लोगों ने कला प्रतिभाओं को निखारा है। कुछ लोगों ने सिलाई कढ़ाई बुनाई इत्यादि को सीखा है । कुछ लोगों ने अपने गायन संगीत को भी नया रूप दिया है नया आयाम सीखें है । कहीं पर लेखनीे की शक्ति ने अपना रंग दिखाया है और समाज को काफी प्रेरित करने का प्रयास किया गया है। सबसे अलग इस "पूर्ण बंदी" में अपनों ने अपनों के लिए एक समय विशेष का भी अवसर पाया है , जिसमें अपनों से बात करना उनके सुख-दुख साझा करना या यूं कहें कि सामाजिक सौहार्द की भावना का भी अच्छा विकास हुआ है । सामाजिक वातावरण में सुदृढ ता आयी है। शिक्षक व छात्र छात्राओं को ई- -लर्निंग के माध्यम से शिक्षण के नए-नए आयाम सीखने और सिखाने का भी अवसर प्राप्त हुआ है । सबसे अच्छी बात इस लोक डाउन ने प्राकृतिक वातावरण को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है ।
दरअसल इसके सहारे प्रकृति ने सारी दुनिया का एक सकारात्मक संदेश देने की कोशिश की है अगर इस संदेश को समझें तो पाएंगे कि दुनिया के अधिकांश शहरों में सांस तोड़ती हवा साफ हो गई है ।हर समय धुएं से काला रहने वाले दिल्ली जैसे महानगरों का आसमान नीला दिखाई देने लगा है। चार दशकों के बाद आसमान में तारे दिखाई देने लगे हैं। आसमान बहुत सुंदर चमकने लगा है। गंगा का जल भी निर्मल होकर बहने लगा है ।और अन्य नदियों का जल भी पहले की अपेक्षा स्वच्छ हो गया है। प्रकृति के लिए यह बहुत अच्छा संकेत है । लोग डाउन के चलते देश के महानगरों में वायु, जल और ध्वनि प्रदूषण में भारी गिरावट आई है। और इससे अधिक हमारी भारतीय संस्कृति की प्रशंसा भी विदेशों तक हो रही है जैसे हाथ मिलाने की जगह प्रणाम करना, दफनाने की जगह अंतिम संस्कार करना इत्यादि के टिक टोकस् ने बहुत प्रसिद्धि प्राप्त की है। सबसे विशेष बात इस लोक डाउन ने हमें चिंतन और मनन करने के लिए भी प्रेरित किया है कि ये लोकडाउन हो क्यों रहा है? प्रकृति हमारे साथ ऐसा क्यों कर रही है। कहीं ना कहीं इस विकास की दौड़ में हम अपने पुरातत्व को शायद खो रहे हैं। कहीं ना कहीं प्रकृति हमें यह संदेश देना चाहती है कि हम अपनी पुरानी संस्कृति को ना खोए बल्कि उससे जुड़ा रहना ही हमारे लिए बेहतर होगा,हम सब के लिए बेहतर होगा। मेरा आग्रह है कि हमें इस लोक डाउन के प्रत्येक नियम व शर्तों का अनुकरण करना चाहिए ,इस वैश्विक महामारी स्वयं की व पूरे राष्ट्र की रक्षा के लिए हमें एक योद्धा के रूप में खुद को उतार देना चाहिए। अनावश्यक रूप से घर से बाहर ना निकले ।मास्क अवश्य पहने ।सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। शांति व धैर्य पूर्वक घर में ही रहकर समय का सदुपयोग अच्छे अच्छे कार्यों हेतु करें। ताकि हमारा राष्ट्र विश्व में खुद को गौरवान्वित महसूस कर सकें । इस विकट परिस्थिति में हमने डॉक्टर, नर्स, पुलिस को (वास्तविक समाज सेवक के रूप में) उनके योगदान को जाना है। मैं उन सभी कोरोना योद्धाओं को हार्दिकं अभिनन्दन करती हूं। जिन्होंने राष्ट्र की सेवा के लिए स्वयं को समर्पित किया है और कुछ पंक्तियों से उनको सम्मान देती हूं: हर सुबह शाम की दुआएं हम आपके नाम करते हैं । कोरोना योद्धाओं हम आपको प्रणाम करते हैं । सेवा पथ पर निरंतर तत्पर सेवाकार्य को अपना अंजाम देते है। कोरोना योद्धाओं हम आप को प्रणाम करते हैं। हम आपको प्रणाम करते हैं।
सीमा रानी गौड़ (प्र०अ०)
प्रा०वि० हरडफतेहपुर-2
थानाभवन (शामली)
लॉकडाउन: कुछ बंधन कुछ अवसर
(अंकिता मिश्रा)
लॉकडाउन ने जहां देशभर की अर्थव्यवस्था को हिला कर रख दिया है वही हम आमजन भी डरे हुए है इतनी बड़ी झति जो आज जन धन की हो रही है इस चीज का अंदाजा नहीं लगा सकते कि कैसा महसूस कर रहा होगा वो परिवार जो रोटी के लिए संघर्ष कर रहा है।
देश के लोगों से पैसों का आदान-प्रदान सरकार तक ना पहुंच पाना बहुत सी
समस्याओं को निमंत्रण देता है वही एक आम आदमी जो कि आज घरों में कैद है बाहर नहीं
जा सकते जब तक कि कोई भी अति आवश्यक कार्य ना हो | ऐसे समय
में हमें सकारात्मक नजरिया रखने की बहुत जरूरत है क्योंकि अवसाद और निराशा हम पर
कभी भी हावी हो सकती है सकारात्मक रहिए और आसपास के लोगों को भी सकारात्मक रखने की
कोशिश कीजिए और आज जहां हमारे पास इतने बंधन है कि ना हम बाहर जा सकते हैं ना ही
घूम सकते हैं पर्यटन का आनंद नहीं ले सकते हैं ना कुछ नया सीखने के लिए कोई कोचिंग ट्यूशन में प्रवेश
ले सकते हैं | वहीं दूसरी तरफ पूरी तरह से
सुरक्षित जगह जो कि हमारा अपना घर है वहां हम जो चाहे वह कर सकते हैं ऐसा बिल्कुल
भी नहीं है कि लॉकडाउन ने हम पर सिर्फ और सिर्फ बंधन
ही लगाए हैं लॉकडाउन ने हमें मौके भी दिए हैं |
हमारे पास करने के लिए बहुत से नवाचार है जो हम कर सकते हैं जहां तक कि
मेरा व्यक्तिगत सुझाव है कि परिवार को समय दें परिवार के सदस्यों के साथ मिलजुल कर
रहिए, अच्छा बोलिए और अच्छा सोचिए बच्चों को संस्कार दें
बच्चों को अपने आसपास रखें, उन्हें छोटी-छोटी कहाँनियों के
माध्यम से अपनी कला और संस्कृति के बारे में परिचित कराएं उन्हें अपनी संस्कृति से
जोड़िए उन तक रोज अपनी कहाँनियां साझा कीजिए, कोई
महान व्यक्तित्व की जीवनी पर रोज शाम को उनके साथ चर्चा
करें अंताक्षरी,लूडो, कैरम जो भी खेल परिवार के साथ खेल सके संपूर्ण
परिवार के साथ बैठकर खेलें जिंदगी और मौत आपके हाथों में नहीं है लेकिन यह भी सच
है कि जब भी आदमी अपने जीवन के आखिरी क्षणों में हुआ है तो उसे सिर्फ अपने परिवार
की याद आई है और उसे अपनी कमियां दिखाई दी हैं कि क्या उसने नहीं किया और वह
ज्यादातर परिवार से जुड़ी हुई या फिर समाज सेवा से ही जुड़ी हुई होती हैं आज का
समय उन सब चीजों को करने का समय है और अनुकूल भी है मेरे विचार से इससे ज्यादा
बेहतर समय आपके पास नहीं हो सकता कि आप जरूरतमंदों की मदद करें उन तक अपनी सहायता
पहुचाएं यह आप को सुकून देगा और संतोष भी।
आज हम आजाद हैं टेक्नोलॉजी का प्रयोग करने के लिए, सीखने
के लिए, अपनी पसंदीदा किताब पढ़ने के लिए, पेंटिंग, खाना बनाना,क्राफ्ट
कोई भी रचनात्मक कार्य चाहे वो साहित्य से जुड़ा हुआ हो या मनोरंजन से जुड़ी हुई
चीज हो आप करने के लिए पूरी तरह स्वतंत्र है। ऐसा ना
जाने कितनी बार हुआ है कि आपने कितने कामों को सिर्फ समय ना मिल पाने के कारण टाला
होगा आज इन सब कार्यों को करने का समय है।
यह वक्त भी गुजर जाएगा, नया वक्त आ
जाएगा। अपने व्यक्तित्व को निखारने लो, न जाने यह मौका कब
आएगा।
आपको सीखने के लिए नहीं रोका गया, पढ़ने के लिए नहीं रोका गया, रिश्तो को गहरा करें उन्हें मजबूती दे योग, व्यायाम और एक और महत्वपूर्ण कार्य जो कि आपको भी व्यक्तिगत रूप से मदद देगा और समाज के लिए भी मददगार साबित होगा और वह है पेड़ लगाना पेड़ लगाएं और उन्हें बढ़ते हुए भी देखें कल को वह आपको छांव भी देंगे और फल भी देंगे और जाते-जाते हमारी आधी आबादी यानी महिलाओं के लिए एक सुझाव कि आपका पूरा परिवार अब आपके पास है तो थोड़ा बदलाव अपनी दिनचर्या पर भी लाए घर के बड़े सदस्यों को घर के कामों में जोड़ने का और खुद को समय दे अपने शौक को रोजाना समय दें ना कि पूरा दिन रसोई में अब आप रसोई से ड्राइंग रूम में आइए और घर के सदस्यों को भी रसोई में भेजें सुबह शाम की चाय हो या सब्जी बनाना, आटा गूथना, झाड़ू पोछा ऐसे कई काम है घर में उन सारे कामों को घर के सदस्यों के बीच बांटे और एक आदर्श खुशहाल परिवार की नीव जो आप आज रखेंगे वो एक लंबी दूरी तय करेगी इसी उम्मीद के साथ कि आप अपने समय को मात्र यूट्यूब फेसबुक, इंस्टॉ, व्हाट्सएप पर बर्बाद ना कर के कुछ अच्छा कर रहे होंगे।
आपको सीखने के लिए नहीं रोका गया, पढ़ने के लिए नहीं रोका गया, रिश्तो को गहरा करें उन्हें मजबूती दे योग, व्यायाम और एक और महत्वपूर्ण कार्य जो कि आपको भी व्यक्तिगत रूप से मदद देगा और समाज के लिए भी मददगार साबित होगा और वह है पेड़ लगाना पेड़ लगाएं और उन्हें बढ़ते हुए भी देखें कल को वह आपको छांव भी देंगे और फल भी देंगे और जाते-जाते हमारी आधी आबादी यानी महिलाओं के लिए एक सुझाव कि आपका पूरा परिवार अब आपके पास है तो थोड़ा बदलाव अपनी दिनचर्या पर भी लाए घर के बड़े सदस्यों को घर के कामों में जोड़ने का और खुद को समय दे अपने शौक को रोजाना समय दें ना कि पूरा दिन रसोई में अब आप रसोई से ड्राइंग रूम में आइए और घर के सदस्यों को भी रसोई में भेजें सुबह शाम की चाय हो या सब्जी बनाना, आटा गूथना, झाड़ू पोछा ऐसे कई काम है घर में उन सारे कामों को घर के सदस्यों के बीच बांटे और एक आदर्श खुशहाल परिवार की नीव जो आप आज रखेंगे वो एक लंबी दूरी तय करेगी इसी उम्मीद के साथ कि आप अपने समय को मात्र यूट्यूब फेसबुक, इंस्टॉ, व्हाट्सएप पर बर्बाद ना कर के कुछ अच्छा कर रहे होंगे।
इसी आशा के साथ अगले स्तम्भ में मिलेंगे और विचारों को साझा करेंगे
धन्यवाद।
अंकिता मिश्रा
सहायक अध्यापक
पूर्व माध्यमिक विद्यालय कटरा बाजार, गोंडा